उदयपुर मेवाड और भारत के महान सपूत पद्मविभूषण दौलत सिंह कोठारी के 119वे जन्म दिवस पर विज्ञान समिति व डा. दौलत सिंह कोठारी संस्थान के सदस्यों ने इस महान वैज्ञानिक की फ़तह सागर पाल एवं बायोटेकनोलोजी विभाग के बाहर लगी आदम क़द प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात् सभा आयोजित कर स्मरण किया ।
डॉ सुरेन्द्र पोखरणा और महेन्द्र मेहता ने गत पृथ्वीदिवस पर घोषित “कोठारी आईनस्टिन पर्यावरण चेतना अभियान “ के बारे में जानकारी दी और बताया कि पर्यावरण की रक्षा और पृथ्वी के संभावित छट्ठे महा विनाश को रोकने के लिये डा. डी एस कोठारी और अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा सुझाये गये मार्ग का अनुसरण करना होगा जिसमें विज्ञान के साथ अंहिंसा, धर्म और आध्यात्म पर भी ज़ोर दिया गया है । यह भी जानकारी दी गयी कि डा. डी एस कोठारी के प्रयासों से स्थापित और विकसित रक्षा अनुसंधान संस्थान (DRDO) में हो रहे कार्यों के कारण, भारत अब रक्षा के क्षेत्र में तीव्र गति से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है । जिसका एक नमूना ओपरेशन सिन्दूर में देखा गया जहाँ भारत में ही बने अस्त्रों और शस्त्रों से पाकिस्तान को हराया गया । डा. कोठारी के दर्शन कि विज्ञान को अंहिंसा के साथ जोड़ना चाहिये की आज ज्यादा आवश्यकता हैं ।
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया की कार्यक्रम में उनके परिवार के भुपाल सिंह कोठारी, प्रकाश कोठारी, प्रदीप कोठारी, परितोष कोठारी, डा. कमल प्रकाश तलेसरा, विज्ञान समिति के अध्यक्ष, डा. महीप भटनागर, डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, शान्ति लाल भण्डारी, डा. करण लाल तोतावत, राजेन्द्र कुमार खोखावत, अरुण कुमार अग्रवाल, जितेन्द्र मेहता, महेन्द्र कुमार मेहता, देवेन्द्र साल्वी, विजय उपस्थित थे |