GMCH STORIES

सांसद डॉ रावत ने प्राकृतिक खेती के उत्पाद की ब्रांडिंग की स्पष्ट एवं विस्तृत नीति बनाने का सुझाव दिया

( Read 3053 Times)

04 Jul 25
Share |
Print This Page
सांसद डॉ रावत ने प्राकृतिक खेती के उत्पाद की ब्रांडिंग की स्पष्ट एवं विस्तृत नीति बनाने का सुझाव दिया

-खाली पड़ी वन भूमि पर अधिकाधिक महुए के पेड़ लगाने का सुझाव दिया
-सांसद ने स्थानीय जनजाति को होने वाले फायदों के संबंध में सुझाव दिए
उदयपुर। केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में श्रीनगर में आयोजित हुई भारत सरकार की कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की बैठक में उदयपुर लोकसभा सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने भाग लेकर जनजाति क्षेत्र के कई मुद्दों को रखा और उनके समाधान के संबंध में सुझाव भी दिए।  
प्राकृतिक खेती एवं खाद्य तेल आत्मनिर्भरता विषय पर आयोजित इस बैठक सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने सुझाव दिया कि अनुसूचित क्षेत्र में महुआ के बीजों (डोलमा) से परंपरागत रूप से तेल बनाया जाता है इसलिए इसे भी योजना में सम्मिलित किया जाना चाहिए तथा खाली पड़ी वन भूमि पर अधिकाधिक महुए के पेड़ लगाया जाए जो इस हेतु सहायक होंगे।
सांसद डॉ रावत ने कहा कि खाद्य तेल की आत्मनिर्भरता एवं प्राकृतिक खेती धरती माता के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए आयोजित है। यह एकीकृत एवं प्रकृति अनुरूप विचारों को लेकर है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भारत सरकार धन्यवाद की पात्र है। डॉ रावत ने सुझाव दिया कि वन अधिकार कानून में पट्टा धारी सभी किसान, जो अधिकांश अभी भी इस प्रेक्टिस को अपनाए हुए है, को प्राकृतिक खेती मिशन के लिए अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, क्योंकि वह इसके लिए अधिक उपयुक्त है। प्राकृतिक खेती के उत्पाद की ब्रांडिंग की स्पष्ट एवं विस्तृत नीति बनानी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं में प्रतिष्ठित होकर यह सही ढंग से पहुंच सके। सांसद ने बैठक में कहा कि राजस्थान सहित अन्य राज्यों के अनुसूचित क्षेत्र में जहां गरीबी एवं रोजगार के पलायन की प्रवृत्ति है वहां इसके लिए कलक्टर के चयन में प्राथमिकता दी जाए। प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसाइटी की भूमिका इसमें सुनिश्चित की जानी चाहिए। सांसद डॉ रावत ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउंडेशन डीएमएफटी को इसमें कन्वर्जेस के लिए जोड़ा जाए क्योंकि प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना 2024 में यह उच्च प्राथमिकता के रूप में उल्लेखित किया गया है।
सांसद डॉ रावत ने एक प्रमुख मुद्दा उठाते हुए कहा कि एमपीयूएटी उदयपुर जैसे विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती पर किए जाने वाले अनुसंधान परियोजनाएं दो-तीन साल बाद पूरी कर छोड़ दी जाती है, इससे उसमें कृषकों को निरंतर लाभ नहीं मिल पाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे फॉलोअप के रूप में आगे भी जारी रखा जाए।
उन्होंने कहा कि खाद्यान्न तेल की आत्मनिर्भरता में वृक्ष जनित तेल की चर्चा अत्यधिक होनी चाहिए। इसमें वन मंत्रालय और जनजाति मंत्रालय की भूमिका भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। अनुसूचित क्षेत्र में महुआ के बीजों (डोलमा) से परंपरागत रूप से तेल बनाया जाता है. इसे इसमें सम्मिलित किया जाए एवं खाली पड़ी वन भूमि पर अधिकाधिक महुए के पेड़ लगाया जाए जो इस हेतु सहायक होंगे।  उन्होंने कहा कि बैठक में मकई के तेल की चर्चा सीमित हुई है इसे आधिकारिक की जानी चाहिए, ताकि अधिकाधिक लोगों खासकर इससे मेवाड़ वागड़ जैसे क्षेत्रों के किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्रीनगर में प्राकृतिक खेती एवं राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर परामर्शदात्री समिति की बैठक में सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हुआ है। बैठक में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने और तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भावी रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई है। उत्पादन बढ़े, लागत घटे, उपज का सही दाम मिले और हमारे किसान समृद्ध हों, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार पूरी तरह संकल्पित और प्रतिबद्ध है


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like