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डाॅ. जेम्स शेफर्ड - मेवाड़ रियासत का प्रथम चिकित्सक

( Read 1886 Times)

01 Jul 25
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डाॅ शेफर्ड नवम्बर, 1877 में 29 वर्ष की आयु में भारत आया। उसके उदयपुर आगमन के सन् 1882 के वर्ष में ग्रीष्म ऋतु के समय महामारी हैजा फैल हुआ था। इससे सैकड़ों लोग मर गए एवं असंख्य इस बीमारी की चपेट में पीड़ित थे। डाॅ. शेफर्ड ने किसी भारतीय समाचार पत्र में पढ़ा कि चीन में उस वर्ष विनाशकारी प्लेग फैल गया, जिसमें 10,000 लोगों की मृत्यु हो गई। इसी समय भारत में हैजा व महामारी से एक सप्ताह में ही 1 लाख से अधिक लोग मर गए।

सन् 1891 की जनगणना में तत्कालीन राजपूताना (राजस्थान) में 1,27,62,000 लोग थे किन्तु उस वर्ष विनाशकारी महामारी फैलने से जनसंख्या घटकर 24,85,000 रह गई अर्थात् लगभग 1 करोड़ लोग अकाल एवं महामारी से मारे गए। यह संख्या प्रथम विश्वयुद्ध के 4 वर्षों में मारे गए 9 लाख लोगों से भी अधिक थी। उदयपुर मेवाड़ रियासत की जनसंख्या 17,27,000 थी। उसमें 45 प्रतिशत लोग अकाल और महामारी की वजह से 1 ही वर्ष में काल के मुख में चले गए। इसके बावजूद भी डाॅ. शेफर्ड अपनी चिकित्सा सेवा में समर्पित होकर समर्पण और मानवसेवा में लगा रहा।

सन् 1884 में महाराणा सज्जनसिंह की मृत्योपरान्त फतहसिंह को शिवरती परिवार से लाकर मेवाड़ के ‘‘सामंत मण्डल’’ ने एक मत निर्णय से महाराणा बनाया। डाॅ. शेफर्ड ने अपनी निजी डायरी (जो बाद में शेफर्ड आॅफ उदयपुर दी लैण्ड आई लव्ड) में लिखा कि महाराणा सज्जनसिंह के बाद चुना गया उत्तराधिकारी राणा फतहसिंह एक युवा, सक्रिय, बुद्धिमान व्यक्ति था जो प्रजाजनों में लोकप्रिय था। महाराणा फतहसिंह के राज्यारोहण के वर्ष राजमहल में पहुँच कर शेफर्ड ने महाराणा को बधाई दी। महाराणा ने उसकी राजमहल में चिकित्सा सेवा से प्रसन्न हो 10,000 रू. की राशि दी, परन्तु शेफर्ड ने उस राशि से स्वर्गीय महाराणा सज्जनसिंह की स्मृति में उदयपुर में नए चिकित्सालय भवन बनवाने के लिए खर्च करने की इच्छा जाहिर की। इस पर महाराणा की आज्ञा से चेतक सर्कल के पास नया ‘‘महाराणा चिकित्सालय भवन’’ बनवाया। जिसका महाराणा ने दिसम्बर, 1886 को नए राजकीय अस्पताल का उद्घाटन किया। उक्त चिकित्सालय-भवन की चांदी से बनी चाबी जिस पर महाराणा फतहसिंह का नाम उत्कीर्ण था, इसे महाराणा ने डाॅ. शेफर्ड को प्रदान की। प्रतिदिन उक्त राजकीय चिकित्सालय की रजत से बनी चाबी राजमहल में जमा की जाती थी और अगले दिन पुनः राजमहल से ही चाबी लाकर चिकित्सालय का भवन खोला जाता था। मेवाड़ रियासत उदयपुर में शेफर्ड हाॅस्पीटल के उद्घाटन के अवसर पर महाराणा फतहसिंह के भाषाण का हिन्दी अनुवाद राज्य के प्रधान मेहता पन्नालाल सी.आई.ई. ने पढ़ कर सुनाया।

उल्लेखनीय है कि डाॅ. शेफर्ड ने चिकित्सा के व्यवसाय को मानव सेवा कर्म को तन-मन-धन से अपनाया। उदयपुर नगर में 34 वर्षों तक एक आदर्श चिकित्सक के रूप में सेवा करने वाले डाॅ. जेम्स शेफर्ड को आज डाॅक्टर्स डे पर नहीं भुलाया जा सकता है। जो हजारों किलोमीटर दूर स्काॅटलैण्ड से उदयपुर में आकर तत्कालीन महामारी और अकाल के दौरान रोगियों की चिकित्सा को ही अपना नैतिक कत्र्तव्य समझ कर उदारता, करूणा और मानवसेवा के साथ पशु चिकित्सा में संलग्न रहा।

स्वरूप सागर स्थित मिशन कम्पाउण्ड जो उसका आवासीय बंगला था मानो 24 घण्टे तक चिकित्सालय के रूप में बना रहा। यद्यपि उदयपुर में प्रारम्भ से हाॅस्पीटल चलाने के लिए कोई प्लाॅट व किराया भवन देने को भी तैयार नहीं था क्योंकि उस वक्त राज्य की अनुमति लेनी होती थी। परन्तु जब महाराणा सज्जनसिंह की रूग्णावस्था में राजमहल में उसके द्वारा की गई सेवाओं से प्रभावित होकर नए महाराणा फतहसिंह ने धानमण्डी में चिकित्सालय चलाने के लिए अनुमति देते हुए राजकीय भूमि का पट्टा प्रदान किया। किन्तु जीवन के अंतिम समय में 1916 में उदयपुर से स्वदेश लौट रहा था तब महाराणा फतहसिंह, प्रमुख सामन्त, दरबारी, अधिकारियों, स्थानीय सेठ, साहुकारों ने उसका सम्मान करते हुए उसको विदा किया।


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