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दि इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया ने मनाया विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस

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20 May 25
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दि इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया ने मनाया विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस

 

उदयपुर : दि इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया  उदयपुर लोकल सेंटर द्वारा डिजिटल परिवर्तन में लैंगिक समानता विषय पर विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस मनाया गया।  प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष इंजी पुरुषोत्तम पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि हर वर्ष 17 मई को विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य समाज में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के महत्व को उजागर करना और इसके समावेशी उपयोग को बढ़ावा देना है। आज का यह विषय लैंगिक असमानताओं को दूर करने और महिलाओं एवं लड़कियों को डिजिटल दुनिया में समान अवसर प्रदान करने की वैश्विक आवश्यकता को रेखांकित करता है। आज जब संपूर्ण विश्व डिजिटल युग की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है ऐसे में यह आवश्यक है कि महिलाएं भी इस परिवर्तन का समान रूप से लाभ उठा सकें। इस अवसर पर हम सभी से आह्वान करते हैं कि वे डिजिटल साक्षरता और लैंगिक समानता को बढ़ावा दें ताकि एक समावेशी और प्रगतिशील डिजिटल समाज की स्थापना हो सके।  

इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के मानद सचिव इंजीनियर पीयूष जावेरिया ने बताया कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां हमारे जीवन के हर पहलू को तेजी से बदल रही हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से लेकर व्यापार और शासन तक। इस परिवर्तनकारी युग में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी पीछे न छूटे। लैंगिक डिजिटल विभाजन, जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों के पास डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट तक कम पहुंच होती है, विकास और प्रगति में एक महत्वपूर्ण बाधा है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि डिजिटल विकास तभी सार्थक है जब उसमें सभी वर्गों की समान भागीदारी हो,विशेष रूप से महिलाएं और लड़कियां जो सामाजिक, आर्थिक बाधाओं के चलते अक्सर पीछे रह जाती हैं। 

समारोह के मुख्य वक्ता इंजी. शफीक अहमद,  मुख्य प्रबंधक, सिक्योर मीटर्स, उदयपुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र निर्धारित एसडीजी गोल में एक गोल जेंडर इक्वलिटी भी है। उन्होंने महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि अगली पीढ़ी को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने स्वीकार किया कि लड़कियां और महिलाएं अब विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं लेकिन अभी तक अपेक्षित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए हैं। उन्होंने 6जी के बारे में बात की जिससे संचार की दक्षता बढ़ेगी यहां तक कि जब लोग बुलेट ट्रेन में यात्रा करेंगे तब भी यह प्रभावी ढंग से काम करेगा और कॉल ड्रॉप नहीं होगी। उन्होंने चैटजीपीटी और इसके उपयोग से होने वाले विभिन्न लाभों के बारे में बात की और कहा कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से रोबोट तेजी से डेटा प्राप्त करके चिकित्सा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को पायलट गामाए नैपकिन एआई और जेमिनी के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। समारोह की  वक्ता  कविता धाकर, सब डिविजनल इंजीनियर (एंटरप्राइज़ बिज़नेस)  बीएसएनएल ने बताया कि लिंग संबंधी पूर्वाग्रह महिलाओं को तकनीकी करियर से हतोत्साहित करते हैं।आईसीटी में महिला रोल मॉडल की कमी, साइबर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार महिलाओं को डिजिटल स्थानों से दूर रखते हैं।  उन्होंने  बताया कि भारत में शहरी क्षेत्र में 40 प्रतिशत महिलाएं मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग करती हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 25 प्रतिशत महिलाएं मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत की 25 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है। उन्होंने 2023 के आंकड़े प्रस्तुत किए कि मोबाइल फोन का उपयोग करने वाली 10 महिलाओं में से 2 महिलाओं के पास पास फोन नहीं है और 5 महिलाएं फोन साझा करती हैं तथा केवल 3 महिलाओं के पास स्वयं के निजी फोन है, जबकि दस में से 1 पुरुष के पास फोन नहीं है, 4 पुरुष फोन साझा करते हैं और 5 पुरुषों के पास स्वयं के निजी फोन है । उन्होंने बीएसएनएल द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे दूरसंचार की पहुँच के लिए किये जा रहे कार्य के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस खाई को पाटने के लिए सुनिश्चित करें कि महिलाओं और लड़कियों के पास किफायती उपकरण और इंटरनेट उपलब्ध तकनीकी निर्णय लेने में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहिए महिलाओं को आईसीटी, कोडिंग और उभरती तकनीकी ए आई,  आईओटी में प्रशिक्षण उपलब्ध हों। तकनीकी निर्णय लेने में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहिए  ।  महिलाएं सुरक्षित ऑनलाइन भागीदारी से साइबर उत्पीड़न का मुकाबला कर सकती है। इंजी पुरुषोत्तम पालीवाल ने संचालन  और धन्यवाद ज्ञापित किया।


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