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पहाड़ों की कटाई व पर्यावरण प्रतिकूल पर्यटन से पीड़ित  है  पशु पक्षी

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03 Mar 24
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विश्व वन्य जीव दिवस पर संवाद 

पहाड़ों की कटाई व पर्यावरण प्रतिकूल पर्यटन से पीड़ित  है  पशु पक्षी

उदयपुर,    पेड़, पहाड़, पानी वन्य जीवों के जीवन कर  आधार है। विश्व वन्य दिवस वन्य जीवों के संरक्षण के   संकल्प को सुदृढ करने का दिवस है।
 यह विचार रविवार को आयोजित  झील संवाद में व्यक्त किये गए।

संवाद में झील संरक्षण समिति के  डॉ अनिल मेहता ने कहा कि  उदयपुर का जल तंत्र, अरावली पहाड़ियाँ व मौसम  तंत्र  देशी प्रवासी पक्षियों  सहित विविध प्रकार के वन्य जीवों के जीवन व विकास के लिए अनुकूल बना रहा 
 लेकिन  बढ़ते शहर,  पर्यावरण प्रतिकूल  पर्यटन   व पहाड़ों की कटाई से  वन्य जीवों के  आश्रय स्थल नष्ट हो रहे हैं। 

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि  वन क्षेत्रों के घटने से  वन जीवों के आवास हुआ है व उनका  भोजन चक्र बिगड गया है । इसलिए  तेंदुए सहित अन्य जीव इंसानी बस्तियों में आ रहे है।

गांधी मानव विकास सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि   चकाचौंध रोशनी, रात्रि में होने वाली आतिशबाजी, शोर  व वाहनों की रेलमपेल ने उदयपुर नगरीय क्षेत्र में  वन्य जीवों को गंभीर  आघात पंहुचाया है। 

अभिनव संस्थान के निदेशक कुशल रावल ने  चिंता जताई   कि  रंग सागर में   बने टापूओ पर गत वर्ष तक सैंकडों पक्षी आते थे । लेकिन इस वर्ष  एक भी पक्षी नहीं है। यह एक गंभीर  पर्यावरणीय  विभीषिका   है।

झील प्रेमी रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि शहर की झीलों में कई मछली प्रजातियां विलुप्त हो गई है। यह अशुभ संकेत है।

परिचर्चा से पूर्व श्रमदान कर झील किनारों पर जमा कचरे को हटाया गया।


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