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मसर वेटलैंड सिटी नामित करने के लिए केंद्र सरकार का आभार

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13 Jan 24
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मसर वेटलैंड सिटी नामित करने के लिए केंद्र सरकार का आभार

उदयपुर, संयुक्त राष्ट्र संघ में उदयपुर को रामसर वेटलैंड सिटी के रूप में  नामित करने के लिए झील प्रेमियों ने केंद्र व राज्य  सरकार का आभार व्यक्त किया है।  इससे उदयपुर के पर्यवारण, पानी, पर्यटन सभी को लाभ मिलेगा।

लेकिन , इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि जंहा केंद्र सरकार  पारिस्थितिकी रूप से महत्वपूर्ण   उदयपुर की झीलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेटलैंड घोषित करवा रही है।  जंहा  स्थानीय स्तर पर  उदयपुर वेटलैंड संरक्षण के लिए हो रहे  स्वैच्छिक प्रयासों को मान्यता मिल रही है  ।   वंही,  कतिपय लोगों  को  वेटलैंड संरक्षण संबंधी सभी कानूनों व नियमो के  उल्लंघन की पूरी छूट मिली हुई    है।

रविवार को  फतेहसागर पेटे में आयोजित झील संवाद में  झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि 
वेटलैण्ड संरक्षण व प्रबंधन नियमों के प्रावधान चार के अनुरूप उदयपुर की  बड़ी, फतेहसागर, पिछोला, गोवेर्धन सागर , उदयसागर  झीलों के  जोन ऑफ़ इन्फ्लूएंस के निर्धारण में   जानबूझ कर देरी की जा रही है ताकि व्यावसायिक निर्माणो को  लाभ पंहुचाया जा सके।

मेहता ने कहा कि  सज्जनगढ़ इको सेंसिटिव जोन में  2017 में लगी रोक के बावजूद   विगत पांच वर्षों में बड़े पैमाने पर   होटलों -रिसोर्ट का निर्माण हुआ है।  यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि   वेटलैंड प्रावधानों के अनुसार   झीलों  के इर्द गिर्द शोर प्रदूषण, प्रकाश ( लाईट) प्रदूषण पर नियंत्रण  पूरे झील पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं।    एनजीटी  व सर्वोच्च  न्यायालय के इस संबंधी   स्पष्ट निर्देशों के बावजूद  झील पेटे में जाकर आतिशबाजी की जा रही है।  यह  देशी प्रवासी पक्षियों के जीवन के लिए  गंभीर संकट   है। 

नंद किशोर शर्मा ने कहा कि    झीलों के  उच्चतम भराव तल (  एच ऍफ़ एल )  के औसत  स्तर से पचास मीटर  तक की दूरी में  स्थायी प्रकृति के  निर्माण झील की पारिस्थितिकी को नुकसान पंहुचाते है।  जबकि ऐसे कई निर्माण झीलों के इर्द गिर्द हो रहे हैं। महत्वपूर्ण वेटलैण्ड होने के बावजूद मल मूत्र सहित हर प्रकार की गंदगी के  झीलों में विसर्जन पर नियंत्रण नही लग पाया है।

युवा पर्यावरण विद कुशल रावल ने कहा कि  झील पेटे में  महंगी  किस्म की आतिशबाजी के खोल व डिब्बे पाए गए हैं।  यह साबित करता है कि  झीलों के आसपास के होटलों, गार्डन, रिसोर्ट में  विवाह  व अन्य  समारोहों के दौरान झील पेटे  व इको सेंसिटिव ज़ोन को किस प्रकार आघात पंहुचाया जाता है। 

झील प्रेमी द्रुपद सिंह ने कहा कि फतेहसागर क्षेत्र में संजय पार्क के सामने  मस्तान बाबा कॉलोनी रोड पर भारी मात्रा में कचरे व गंदगी का विसर्जन है। कॉलोनी प्रवेश पर ही बहुत बड़ा कचरा डंपिंग यार्ड है । यह सब कचरा व गंदगी  फतेहसागर में ही  जाकर समा जाते है जो वेटलैंड नियमों का उल्लंघन है।


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