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मेमोरी पॉवर बढ़ाने के लिए क्रोध, जिद व चिंताओं को करें विदा - राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी

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24 Nov 23
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मेमोरी पॉवर बढ़ाने के लिए क्रोध, जिद व चिंताओं को करें विदा - राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी

उदयपुर । राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि मेमोरी पॉवर को कमजोर करने में पहला बाधक तत्व है आपका आवेश या गुस्सा। आदमी के एक बार गुस्सा करने पर उसके 10 हजार ज्ञान के सेल्स जलकर खत्म हो जाते हैं। जो अपने दिमाग को सकारात्मक बनाए रखना चाहते हैं वे गुस्से से बचें। आदमी के दिमाग को कमजोर करने में दूसरा बाधक तत्व है उसकी नकारात्मक जिद। तीसरा- उसके भीतर में पलने वाली  चिंता। चिंता ही आदमी के स्वास्थ्य व शरीर को गेंहू के घुन की तरह भीतर ही भीतर धीरे-धीरे खत्म कर देती है। दिमाग का कमजोर करने वाला चौथा तत्व है उसका आलस्य और टाल-मटोल करने की आदत। मेमोरी पॉवर बढ़ाने के उपाय हैं- अपने क्रोध, जिद व चिंताओं को जीवन से विदा कर दें।’’
संतप्रवर बुधवार को अहमदाबाद हाइवे, क्लब महिन्द्रा रिसोर्टए इंडो अमेरिकन पब्लिक स्कूल में आयोजित प्रवचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्र-संत ने कहा कि अगर पूरे ब्रह्माण्ड में कुदरत का दिया कोई बड़ा उपहार है तो वह है हमारा दिमाग। कल्पना करो कि शरीर के सारे अंग हों और दिमाग न हो तो आदमी कुछ नहीं कर सकता। आदमी अगर सुन रहा है, देख रहा है, चल रहा है तो केवल अपने दिमाग के कारण। सच्चाई तो यह है कि इंसान और कुछ नहीं एक उल्टे पेड़ की तरह है, उसकी जड़ें उसके दिमाग में उुपर की तरफ होती हैं। आदमी का एक नाड़ी तंत्र यदि खराब हो जाए तो वह लकवाग्रस्त हो जाता है, उसे न्यूरोफिजिशियन के पास ले जाना पड़ता है। यही दिमाग है जो किसी को राम, किसी को रावण, किसी को कृष्ण तो किसी को कंस बना देता है। राम-रावण और कृष्ण-कंस की राशियां एक हैं किंतु फर्क है तो केवल दिमाग की दिशा का। तय आदमी को करना होता है कि उसे अपने दिमाग का संचालन कैसे करना है। अर्जुनमाली जैसे हत्यारे को यदि भगवान श्रीमहावीर का सानिध्य मिल जाए तो वह दीक्षा स्वीकार कर संत हो जाता है और मूर्ख कहलाने वाले कालीदास का दिमाग यदि सुधर जाए तो वह महाकवि कालिदास बन जाता है। दुनिया में दो तरह के आदमी होते हैं एक जो पढ़ना जानता नहीं और एक वह जो पढ़ना चाहता नहीं। इनमें से पहला आदमी जो पढ़ना जानता नहीं, उसे विद्यावान का संसर्ग मिल जाए तो वह आज नहीं तो कल पढ़ना सीख ही जाता है। लेकिन जो पढ़ना चाहता नहीं वह जीवन में कुछ कर नहीं पाता। जो व्यक्ति लगन, सही मानसिकता और इच्छाशक्ति से कार्य करता है वह असफल होते हुए भी एक दिन सफल जरूर हो जाया करता है। ज्ञानियों ने कहा है कि इच्छाएं कभी जिंदगी में पूरी होती नहीं हैं पर इच्छाशक्ति कभी अधूरी नहीं रहती। आदमी के जीवन की दिशाएं और दशाएं उसके दिमाग के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पर निर्भर हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा कि ज्ञान व वैराग्य को प्राप्त करने का सबसे संतश्री ने कहा कि आदमी के दिमाग से बड़ा सुपर कम्प्यूटर दुनिया में और कुछ हो ही नहीं सकता। यदि आदमी अपने दिमाग का सदुपयोग करे तो उससे बड़ा ज्ञानी और कोई हो नहीं सकता और यदि वह ईर्ष्या, बैर-विरोध, कलह आदि के लिए अपने दिमाग का उपयोग करे तो वह उुंचाइयों से गिरकर रसातल में चला जाता है। उुपर वाले का दिया यह असाधारण, बेशकीमती उपहार है आदमी का दिमाग। आदमी या मस्तिष्क ही जीता-जागता भगवान भी है।
संतप्रवर ने बताया कि आदमी के दिमाग या मस्तिष्क के तीन चरण होते हैं- पहला चेतन मस्तिष्क। किसी भी नई वस्तु को जानने या सीखने की क्षमता चेतन मस्तिष्क में होती है। दूसरा उसका अवचेतन मस्तिष्क। अवचेतन मस्तिष्क यह अलादीन के चिराग की तरह है,जो प्रति सेकंड पांच लाख से ज्यादा दृश्यों को पकड़ सकता है। सारी दुनिया के सुपर कम्प्युटर मिलकर भी आदमी के एक दिमाग का मुकाबला नहीं कर सकते। आदमी अपने अवचेतन मस्तिष्क में वर्षों पुरानी स्मृतियों को सहेज कर रखता है। उसमें कडुवी और अच्छी-मधुर यादें भी होती हैं। आदमी का अवचेतन मस्तिष्क भगवान का भी काम कर सकता है और शैतान का भी। यदि आप अच्छा इंसान बनना चाहते हैं तो जब-जब भी श्वांस ले एक अच्छी याद को भीतर ले आएं और जब श्वांस बाहर निकले तो उसके साथ बुरी याद को बाहर निकाल दें। दिमाग का तीसरा चरण है, उसका अति चेतन मस्तिष्क। जो मस्तिष्क के सबसे अंदर के भाग में होता है। इस अति चेतन मस्तिष्क का ही पूरे शरीर के अंगों पर निर्देश चलता है, यही पूरे शरीर का संचालन करता है। आदमी की किस्मत की रेखाओं को काटने में यदि सबसे बड़ी भूमिका किसी की होती है तो वह है उसके दिमाग में पलने वाली बुरी स्मृतियां। क्रोध आदमी के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा करता है।
संतश्री ने कहा कि आदमी की जिंदगी में उसका सबसे बड़ा गुरू उसका ज्ञान ही है। धन को पाने के लिए एक रात काफी होती होती है मगर ज्ञान को पाने में आदमी को अपनी पूरी जिंदगी खपानी पड़ती है। धन की हमें सुरक्षा करनी पड़ती है मगर ज्ञान की सुरक्षा नहीं करनी पड़ती अपितु ज्ञान ही हमारी सुरक्षा करता है। वही हमें सही दिशा दिया करता है। जब-जब भी हम किसी अनुचित कार्य को करने के लिए कदम आगे बढ़ाते हैं तो हमारे भीतर से एक आवाज आती है, कि तू ये क्या कर रहा है। इसी अंतरआत्मा की आवाज का नाम है विवेक और सद्ज्ञान की आवाज। ज्ञान ही हमारी हर कदम पर रक्षा करता है।  
मेमोरी पॉवर बढ़ाने के 10 गुण
संतप्रवर ने श्रद्धालुओं को मेमोरी पॉवर बढ़ाने के दस गुण बताए। जिनमें पहला गुण है- अपने दिमाग में फालतू का कचरा मत रखें। दिमाग को हमेशा तरोताजा रखें। दूसरा गुण- रोज सुबह की सैर जरूर करें। तीसरा- जब भी अध्ययन करें, पूरे मनोयोग और एकाग्रता से करें। हर समय पूरे दिन-पूरी रात बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न डालें, पढ़ाई के लिए बार-बार टोका-टाकी न करें। क्योंकि पढ़ाई के अलावा उनके सर्वांगीण विकास के लिए खाना-पीना, घूमना-फिरना और अच्छे कार्यों में समय देना भी महत्वपूर्ण है। दिनभर में चार घंटे पढ़ाई के लिए रखें तो भी बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए पर्याप्त हैं। बशर्तें पढ़ाई में उनकी एकाग्रता बनी रहे। मेमोरी पॉवर को बढ़ाने का चौथा गुण है- अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को तले पदार्थ, मिष्ठान्न का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए। छठा गुण है- जब भी अध्ययन करें तो यह जरूर याद रखें कि अपने मेरूदण्ड अर्थात् रीढ़ की हड्डी को हमेशा सीधा रखें। सातवा गुण है- सूर्याेदय से पहले जाग जाएं। आठवां गुण है- रोज दस मिनट तक आनंद आसन अवश्य करें। यदि व्यक्ति चौबीस घंटे में एक बार भी आनंद में जी लेता है तो उसका मेमोरी पॉवर जबरदस्त बढ़ जाता है। नवमा गुण है- सुबह-सवेरे भ्रामरी प्राणायाम जरूर करें। इसके अतिरिक्त दिन में पंद्रह बार उठक-बैठक जरूर करें, अपने कान की अंगुलियों की हल्की रगड़ से मालिश करें।          
कार्यक्रम में सैकड़ों विद्यार्थी और श्रद्धालु विशेष रूप से उपस्थित थे।
 


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