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आदि महोत्सव में आदिवासी कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियाँ

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16 Nov 23
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आदि महोत्सव में आदिवासी कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियाँ

उदयपुर| भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित  आदि महोत्सव में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए जनजाति कलाकारों ने लोक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियों से दर्शकों को अभिभूत किया।

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल,उदयपुर में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर, जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित आदि महोत्सव में राजस्थान के विविध क्षेत्रों के आदिवासी एक मंच पर एकत्रित हो कर अपने पारम्परिक लोक वाद्य, वेशभूषा में लोक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुति से न केवल उदयपुर के स्थानिय दर्शक बल्कि बाहर से आए पर्यटकों को भी रोमांचित हुए।

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि. श्री तारचन्द मीणा, आयुक्त, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर, श्रीमती प्रभा गौतम, अतिरिक्त आयुक्त, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर, डाॅ. तरू सुराणा, निदेशक, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. शंकर लाल बामणिया, डाॅ. आर. एल. सुमन, पर्यटन विभाग की उप निदेशक शिखा सक्सैना एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों आदि ने युवा स्वतंत्रता सैनानी एवं आदिवासियों के नेता बिरसा मुण्डा की तस्वीर पर माल्यपर्ण कर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।

 समारोह का परिचय प्रभा गौतम, अतिरिक्त आयुक्त, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर ने दिया। समारोह में राजस्थान के 8 आदिवासी कलाकारों के दल ने कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियाँ दी जिसमें बाँसवाडा से आदिवासी कलाकारों ने बहुत ही सुन्दर गैर नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी तो बारां जिले के सहरिया जाति के आदिवासी कलाकारों ने अपने स्वांग नृत्य से दर्शकों को रोमाचिंत किया, इसी क्रम में खेरवाड़ा से आए कलाकारों ने गैर नृत्य, नापला बांसवाडा के कलाकारों ने गैर घूमरा नृत्य, भोमपाड़ा, बांसवाडा के कलाकारों ने डंागरी डोला, उपलागढ़, अम्बासा झाड़ोल का मावलिया नृत्य, तो कविता, उदयपुर के गवरी एवं गैर दल ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया इसके साथ ही जब उदयपुर के आदिवासी कलाकारों द्वारा भवाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई तो सभागार तालियों से गुंज उठा।

कार्यक्रम के अंत में डाॅ. तरू सुराणा, निदेशक, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर, ने जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, उदयपुर, जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग, उदयपुर, प्रेस, मीडिया के साथ ही आमजन का आभार प्रकट करते हुए कहा कि आपके सहयोग ही आज जनजातिय गौरव दिवस पर आदि महोत्सव का सफल आयोजन हो सका। आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने तथा लोक संस्कृति के संरक्षण एवं विकास और उसके प्रचार-प्रसार के लिए समय-समय पर इस तरह के आयोजन आगे भी होने चाहिए।


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