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भारतीय लोक कला मण्डल में गवरी नृत्य ने जमाया रंग

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04 Oct 23
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भारतीय लोक कला मण्डल में गवरी नृत्य ने जमाया रंग

उदयपुर, भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर। अपनी स्थापना से ही लोक कलाओं के प्रचार - प्रसार के साथ ही लोक कलाओं को आमजन तक पहुँचाने के उद्धेश्य से कार्यरत है। और इसी उद्धेश्य के तहत संस्था में आमजन हेतु आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में मंेवाड़ अंचल का प्रसिद्ध गवरी नृत्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत दिनांक 03 अक्टूबर 2023 को फेणियों को गुढ़ा गाँव की गवरी के दल ने अपनी प्रस्तुतियों से स्थानिय दर्शकों एवं सैलानियों का मन मोह लिया।

निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि  जैसा कि सभी जानते है की मेवाड़ अंचल के भील जनजाति समाज द्वारा अपनी बहनों, बेटियों कि समृद्धि, शान्ती तथा पशुधन की सम्पन्नता की कामना को दृष्टिगत् रखते हुए राखी के दूसरे दिन से लगभग 40 दिन तक माँ गौरी की आराधना में गवरी नृत्य नाट्य का पारम्परिक आयोजन किया जाता है। जिसमें गवरी के कलाकार प्रण लेते हैं कि वो 40 दिन तक मांस, मदीरा एवं हरी सब्जियों का उपयोग नहीं करेगें और माँ गौरी से प्रार्थना करेंगे की उनकी बहने, बेटियाँ और उनका परिवार उनका पशुधन खुशहाल रहें । नाटिका में भोमला, भियावड़, बादशाह की सवारी, बंजारा-बंजारी आदि पात्रों को मंचित किया गया। इस अवसर पर कमपेयरिंग कर रहे भगवान कच्छावा ने दर्शकों को गवरी के विभिन्न पात्रों के बारे में भी समझाया।

डॉ. हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल में आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के सयंुक्त तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय गवरी समारोह में दिनांक 04 अक्टूबर 2023 को डूलावतों का गुढ़ा गाँव की गवरी का दल लोक कला मण्डल में अपनी प्रस्तुति देगा।


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