उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की ओर से सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकन मुनी जी महाराज के सानिध्य में पर्यूषण महापर्व का दूसरा दिन सत्य दिवस के रूप में मनाया गया।
एडवोकेट मंत्री रोशन लाल जैन व सह मंत्री दिनेश हिंगड़ ने बताया कि पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन भी वरुण मुनि जी द्वारा अनगढ महा ग्रंथ सूत्र का वाचन किया गया। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ जीवन कल्याण करने वाला है। इसके पढ़ने सुनने मात्र से ही जीवन में अप्रत्याशित बदलाव आ जाते हैं। यह हमेशा सत्य और धर्म की राह दिखाने वाला महा ग्रंथ है। दूसरे दिन बड़ी संख्या में समाजन पहुंचे और धर्म लाभ लिया।
इस अवसर पर धर्म सभा में सुकुन मुनि जी ने कहा कि सत्य जीवन का आधार है। उन्होंने नर तेरा चोला रतन अमौला भजन के माध्यम से श्रावकों को उपदेश दिया कि यह मानव जीवन कई योनियों में भटकने के बाद मिला है। इसका महत्व समझे। यह जीवन अनमोल है। हमेशा जीवन में सत्य बोले और सत्य धर्म का हमेशा पालन करें। जो सत्य बोलता है परमात्मा उसी का साथ देता है। सत्य धारण करने की वस्तु नहीं है, क्योंकि सत्य तो हमेशा ही हमारे भीतर विद्यमान रहता है। इस दुनिया में सत्य से बढ़कर और कोई चीज नहीं है। सत्य सागर के समान होता है। जीवन में कम बोलो लेकिन जितना बोलो सत्य बोलो।
जीवन में सबसे बड़ी साधना सत्य की साधना को माना गया है। कुछ भी बोलते समय वाणी पर संयम रखना चाहिए। इस जगत में सत्य ही शिव है और सत्य ही सुंदर है। व्यक्ति को हमेशा अपने वचनों को सोच समझकर दूसरों के सामने प्रकट करना चाहिए। क्योंकि एक सत्य वचन औषधि का काम करता है वही एक झूठ वचन सामने वाले के दिल पर गहरा घाव भीदे सकता है। जीवन में हमेशा सत्य मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण के दीप जलाएं। हमें जीवन में सत्य के साधनों को जानाना जरूरी है। हमेशा सत्य बोलने वाले व्यक्ति की देव प्रकृति होती है और झूठ बोलने वाले व्यक्ति की राक्षसी प्रवृत्ति बन जाती है। यह आपको तय करना है कि आपको देव प्रकृति में अपना जीवन बिताना है या राक्षसी प्रवृत्ति में।
मुनिश्री ने कहा कि आज पर्यूषण महापर्व का दूसरा दिवस हम सत्य दिवस के रूप में मना रहे हैं। आज के दिन सभी को सत्य बोलने का नियम धारण करना चाहिए। जीवन में छोटे-छोटे नियमों का होना बहुत जरूरी है। इन आठ दिनों के महापर्यूषण पर्व में आप अगर एक नियम भी रोज लेंगे तो आठ दिनों में आपके आठ नियम हो जाएंगे। अगर आप आठ नियमो का भी जीवन में पालन कर लेंगे तो आपकी आत्मा शुद्ध बनी रहेगी और आपका आत्म कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त हो जाएगा। इसलिए जीवन में हमेशा सत्य बोले। खुद सुखी रहे, मानसिक तनाव से दूर रहें। सच बोलने से खुद का तो जीवन सुधरता होगा ही औरों के जीवन में भी खुशी आएगी।
इस अवसर पर सभी संतो ने उपस्थित श्रावकों को सत्य बोलने और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सत्य की हमेशा विजय होती है। क्योंकि सत्य साक्षात भगवान की वाणी है। धर्म साधना करने वालों के साथ में हमेशा सत्य ही साथ चलता है। जहां सत्य नहीं होता है वहां धर्म आराधना भी सफल नहीं होती है।