उदयपुर। सनातन संस्कृति में देव पूजा के साथ ही वृक्ष पूजा को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसके पीछे भी वैज्ञानिक आधार निहित हैं। प्रकृति सुरक्षित रहेगी तो प्राण वायु अर्थात ऑक्सीजन निरंतर मिलती रहेगी और मानव जीवन ही नहीं इस संसार का चराचर जगत स्वस्थ रहेगा।
यह बात संस्कृत भारती के अध्यक्ष संजय शांडिल्य ने गुरुवार को उदयपुर में संस्कृत भारती की ओर से चल रहे संस्कृत सप्ताह के दूसरे दिन आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में कहीं। प्रताप गौरव केंद्र राष्ट्रीय तीर्थ में आयोजित इस कार्यक्रम में 11 पौधे रोपे गए। इस अवसर पर अतिथि के रूप में फिनिश एनजीओ के कार्यकारी अधिकारी सौरभ अग्निहोत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति प्रकृति संरक्षण पर आधारित संस्कृति है। सनातन संस्कृति की सभी परंपराएं विज्ञान आधारित हैं। उन परंपराओं में प्राणी मात्र का संरक्षण व संवर्धन छिपा हुआ है। इसे समझकर जीवन में उतरने की आवश्यकता है।
अतिथि छगन पुरोहित ने पौधे को प्रकृति की आत्मा बताते हुए प्रकृति संरक्षण पर बल दिया।
कार्यक्रम संयोजक कुलदीप जोशी ने बताया कि कार्यक्रम अतिथि पुलिस उपनिरीक्षक छगन पुरोहित (विद्युत डिस्कॉम उदयपुर), फिनिश एनजीओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौरभ अग्निहोत्री के सान्निध्य में हुए पौधरोपण में संस्कृत भारती सदस्य रमेश श्रीमाली, नरेंद्र शर्मा, मंगल जैन, डॉक्टर हिमांशु भट्ट, डॉक्टर यज्ञ आमेटा, रेखा सिसोदिया, डॉक्टर रेणु पालीवाल, चैनशंकर दशोरा, दुष्यंत कुमावत, दुष्यंत नागदा, गाथा जोशी, निष्का पालीवाल, मुकेश जोशी ने पौधे रोपे। पौधों में नीम (निम्ब:), गुलमोहर (कृष्णचूड़म), अमरूद (दृढबीजम), नीम्बू (जंबीर फलं) आदि शामिल थे।