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90 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट को रीसाईकिल करना सम्भव: कोमल कोठारी

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05 Jun 23
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90 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट को रीसाईकिल करना सम्भव: कोमल कोठारी

उदयपुर । ”प्लास्टिक अत्यन्त उपयोगी मटीरियल है किन्तु प्लास्टिक वेस्ट एक बडी समस्या है। यदि हम इसे सर्कुलर इकोनाॅमी में ले जायें जिससे वेस्ट उत्पन्न ही नहीं हो तो हमारी सबसे बडी समसया का निराकरण हो जायेगा। इस हेतु जागरुकता उत्पन्न करने की आवश्यकता है।“
उपरोक्त जानकारी फिनिश सोसायटी के श्री सौरभ अग्निहोत्री ने दी। 
उदयपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च सेन्टर द्वारा उदयपुर चैम्बर ऑफ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्री के संयुक्त तत्वावधान में तथा ‘फिनिलूप’ के सहयोग से यूसीसीआई भवन के पी.पी. सिंघल ऑडिटोरियम में ‘प्लास्टिक प्रदूशण के समाधान’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में अध्यक्ष श्री संजय सिंघल ने आमंत्रित अतिथियों, विषय विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वजन में हल्का और मजबूत होने के कारण प्लास्टिक उपयोगी होने के साथ-साथ इसके वेस्ट का निस्तारण एक बडी चुनौति है। औद्योगिक उत्पादन के साथ कुछ वेस्ट उत्पन्न होना लाजमी है किन्तु वेस्ट नियंत्रण के उपाय अपनाकर इसे कम किया जा सकता है।
यूसीसीआई के पूर्वाध्यक्ष एवं यू.आई.डबल्यू.एम. एण्ड आर.सी. के कार्यकारी अध्यक्ष श्री कोमल कोठारी ने यूसीसीआई की गुडली स्थित हानिकारक अपशिष्ट प्रबन्धन सुविधा के बारे में प्रतिभागियों को संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने उदयपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च सेन्टर ट्रस्ट की गतिविधियों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना एवं इण्डस्ट्री द्वारा हानिकारक अपशिष्ट नियमों की अनुपालना ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य है।
यूआईडबल्यूएम एण्ड आरसी के सदस्य सचिव श्री सी.एस.आर. मेहता ने विषय विशेषज्ञों का परिचय प्रस्तुत किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
फिनीश सोसायटी के चीफ आॅफ आॅपरेशन्स श्री सौरभ अग्निहोत्री ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन हेतु कानूनी ढांचा और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन एवं पुनः उपयोग में लेने के उपायों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट के प्रबन्धन के वैधानिक पहलुओं, तकनिकी पहलुओं एवं नियमों की अनुपालना के सम्बन्ध में जानकारी दी। श्री अग्निहोत्री ने फिनीलूप प्लास्टिक लैब द्वारा स्टार्टअप्स के लिये प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट पर उदयपुर में प्रस्तावित इनक्यूबेशन एवं मैन्टरिंग प्रोग्राम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट री-साईक्लिंग पर आधारित इण्डस्ट्री के लिये उदयपुर सम्भाग में विपुल सम्भावनायें हैं। प्लास्टिक वेस्ट को कच्चे माल के तौर पर उपयोग में लेने वाले स्टार्ट-अप के लिये इनक्यूबेशन प्रोग्राम, सपोर्ट, प्रोटोटाईप ग्रांट, एक्सपर्ट्स के साथ मेन्टरिंग सेशन एवं फण्डिग के अवसर मुहैया हैं
कार्यशाला के तकनिकी सत्र में रीक्राॅन पैनल्स के चीफ स्ट्रैटेजी आॅफिसर पवी रहेजा ने प्लास्टिक वेस्ट में वैधानिक आवश्यकताएं और नियामक फ्रेमवर्क विषय पर जानकारी दी। श्री रहेजा ने प्लास्टिक वेस्ट प्रबन्धन सम्बन्धी नियमों की अनुपालना के विषय पर पावर पाॅईन्ट प्रेजेनटेशन के माध्यम से कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नये नियमों के अनुसार एक्सटेण्डेड प्रोड्यूसर्स रेसपाॅन्सिब्लिटी (ईपीआर) के तहत प्लास्टिक बनाने वाले, पैकेजिंग में उपयोग में लेने वाले, ब्रांड ओनर पर प्लास्टिक वेस्ट के निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई है। कार्यषाला का संचालन अधिषाशी अधिकारी डाॅ. साक्षी जैन ने किया।
प्रश्नकाल के दौरान प्रतिभागियों की षंकाओं एवं जिज्ञासाओं का विषय विशेषज्ञों द्वारा समाधान किया गया।
कार्यशाला में संरक्षक श्री बी.एच. बापना, वरिश्ठ उपाध्यक्षा डाॅ. अंशु कोठारी, श्री विजय गोधा, श्री के.पी. सुखतांकर, श्री आर.के. हेडा, श्री हाकिम टीडीवाला आदि सहित विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के लगभग 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला के अन्त में अधिषाशी अधिकारी डाॅ. साक्षी जैन ने समापन टिप्पणी के साथ सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।


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