उदयपुर | मेवाड के ६४वें श्री एकलिंग दीवान महाराणा राजसिंह जी द्वितीय की २८०वीं जयंती महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा राजसिंह द्वितीय का जन्म वि.सं.१८००, वैशाख शुक्ल १३ को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने यह बताया कि महाराणा राजसिंह द्वितीय की गद्दीनशीनी वि.सं. १८१० माघ कृष्ण २ को और राज्याभिषेक श्रावणादि वि.सं. १८१२, ज्येष्ठ शुक्ल ५ को हुआ था। राज्याभिषेक के दिन उन्होंने स्वर्ण का तुलादान किया। महाराणा प्रतापसिंह द्वितीय के एक ही पुत्र राजसिंह थे, उनकी माता का नाम बख्त कुंवर जी था। महाराणा की बाल्यावस्था होने के कारण मरहटों ने मौके के फायदा देख मेवाड पर कई धावें मारे और बहुत सा धन लूटकर ले गये। मरहटों के धावों से मेवाड की आर्थिक स्थिति को धक्का लगा।
महाराणा राजसिंह द्वितीय मात्र सात वर्ष ही राज्यकर वि.सं. १८१७ चैत्र कृष्ण १३ को अल्पायु में देहान्त हो गया था।