उदयपुर। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सवीना में भव्य चतुर्मास के दौरान उपाध्याय मुनि दया ऋषि गुरुदेव एवं मुनि शैलनंदी गुरुदेव के सानिध्य में पहाड़ा दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य कुशाग्रनंदी गुरुदेव का गुरु और शिष्य का महामिलन का आयोजन किया गया।
चातुर्मास कमेटी के महामंत्री रमेश सिंघवी ने बताया कि आचार्य कुशाग्रनंदी गुरुदेव व उनके शिष्य उपाध्याय मुनि दयाऋषि गुरुदेव का 17 साल बाद महामिलन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने इस ऐतिहासिक प्रोग्राम के साक्षी बनें।
युवा संस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र मुंडलिया ने बताया कि दोनों गुरुदेव का रास्ते में स्वागत किया गया। कार्यक्रम मे आचार्य कुशाग्रनन्दी ने गुरु और शिष्य पर अपने मंगल प्रवचन मंे कहा कि गुरु और शिष्य का रिश्ता पिता पुत्र के सम्मान होता है। गाय का अपने बछड़े के लिए जितना प्रेम होता है ऐसा प्रेम गुरु व शिष्य में होता है। दयाऋषि गुरुदेव का जो 17 साल बाद मिलन हुआ। उसका श्रेय गुरुदेव ने सवीना वालों को बताया। हम गुरु व शिष्य को 17 साल बाद मिलवाने की जो तैयारी की व सम्मान दिया है उसके लिए गुरुदेव ने सम्मान नगर को अपना आशीर्वाद देकर गुरु से आशीर्वाद लिया।
कार्यक्रम में कमलेश लखावला, राजू वेलावत, रोशन चित्तौड़ा, हजारी वेलावत, अनिल मुण्डलिया, मनीष वेलावत, विमल चित्तोड़ा, विनीत चित्तौड़ा वह अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। पायड़ा समाज वालों ने वंहा पधारें सभी मेहमानों के लिए अल्पाहार भोजन की व्यवस्था की। शाम 4 बजे गुरुदेव ने अपने गुरु से आशीर्वाद लेकर पायड़ा से सवीना की और विहार किया। मंदिर के पुजारी हितेश औदिच्य उपस्थित थे।