उदयपुर। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सवीना में पर्वराज पर्यूषण पर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म दिवस मनाया गया।
चातुर्मास कमेटी के महामंत्री रमेश सिंघवी ने बताया कि उपाध्याय मुनि दया ऋषि गुरुदेव व शेल नंदी महाराज ने प्रवचन में बताया कि क्रोध माया और लोभ के त्याग से आत्मिक शुद्धता आती है इसे ही उत्तम शौच धर्म कहते हैं।
अपने पास उपलब्ध वस्तुओं से ही संतोष करना और अधिक पाने की लालसा न करना ही उत्तम शौच धर्म है। शौच यानी पवित्रा शरीर की नहीं मन की आत्मा की लोभ समाप्त होने पर जो पवित्रा प्राप्त होती है वही उत्तम शौच धर्म है। पवित्र मन सबसे उत्तम तीर्थ है। जिन मंदिर में सुबह शांति धारा पंचामृत अभिषेक किया गया व 10 लक्षण विधान पंचमेरू विधान की पूजा प्रतिष्ठाचार्य दिनेश जैन अदवास ने करवाई। शाम को मंदिर में आरती व गुरुदेव की आरती की गई।
रात्रि को श्री पद्मावती महिला मण्डल के संयोजक में विचित्र वेशभूषा का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन श्री पद्मावती युवा संस्थान के अध्यक्ष नरेन्द्र मुंडलिया ने किया। संस्थान के परम संरक्षक रोशन वेलावत ने बताया कि दोनों गुरुदेव के सानिध्य में पर्यूषण पर्व पर बड़ी संख्या में श्रावक - श्राविकाएँ व बच्चे उपवास कर तपस्या कर रहे हैं। आज उत्तम सत्य धर्म दिवस पर दोपहर खेलकूद प्रतियोगिता होंगी व महिला मण्डल द्वारा शाम को जैन नाटक का सांस्कृतिक प्रोग्राम किया जाएगा।
चार्तुमास कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लोकेश मुण्डलिया व जयंती लाल वेलावत ने बताया की पर्युषण पर्व में 50 से अधिक तपस्वीयो का जुलुस व पारना भव्य रूप से मानाया जाएगा।