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*मैं अपने मुल्क की मुस्कान को खोने नहीं दूंगा...

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07 Jun 22
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महेश नवमी के उपलक्ष में कवि सम्मेलन आयोजित

भागीरथ बन मैं खुद लाया मेरे मन की गंगे को,मैं मरते दम तक भी अपना सच्चा फर्ज़ निभाऊंगा,मेरी मौत को मिले तिरंगा मर कर भी जी जाऊंगा.....सुनाई तो सभी में तालियों की दाद से स्वागत किया।

कवियित्री वेद ऋचा माथुर ने रचना मेरी भूमि भरत की जननी मेरा उस से नाता है,गंगा है पहचान हमारी तट अमृत छलकाता है, रंग बिरंगी ओड़ रही है दुनिया अब अपनी चूनर, जिसकी चूनर केसरिया है मेरी भारत माता है......सुनाकर सभी को धर्म से जोड़ा।

 उदयपुर के कवि सिद्धार्थ देवल ने अपनी रचना  ध्यान योग के ज्ञाता हम दुनिया के भाग्य विधाता हैं,पियूष बांटते इस जग को हम को विष पीना आता है,

अँधे मात पिता के बेटे हम ही श्रवण कुमार बने,

हम प्रहलाद की भक्ति बनते हम मीरा सा प्यार बने.....,

 शाजापुर(म.प.) से आए कवि दिनेश देशी घी ने अपनी रचना गम नही मुझे की राष्ट्रगान में राजस्थान का नाम नही होता 

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*मैं अपने मुल्क की मुस्कान को खोने नहीं दूंगा...

उदयपुर। नगर माहेश्वरी युवा संगठन की ओर से महेश नवमी के उपलक्ष में आज आरएमवी स्कूल में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। 

वीर रस के कवि अशोक चरण ने कविता पाठ करते हुए अपनी रचना भागीरथ बन मैं खुद लाया मेरे मन की गंगे को,मैं मरते दम तक भी अपना सच्चा फर्ज़ निभाऊंगा,मेरी मौत को मिले तिरंगा मर कर भी जी जाऊंगा.....सुनाई तो सभी में तालियों की दाद से स्वागत किया।

कवियित्री वेद ऋचा माथुर ने रचना मेरी भूमि भरत की जननी मेरा उस से नाता है,गंगा है पहचान हमारी तट अमृत छलकाता है, रंग बिरंगी ओड़ रही है दुनिया अब अपनी चूनर, जिसकी चूनर केसरिया है मेरी भारत माता है......सुनाकर सभी को धर्म से जोड़ा।

 उदयपुर के कवि सिद्धार्थ देवल ने अपनी रचना  ध्यान योग के ज्ञाता हम दुनिया के भाग्य विधाता हैं,पियूष बांटते इस जग को हम को विष पीना आता है,

अँधे मात पिता के बेटे हम ही श्रवण कुमार बने,

हम प्रहलाद की भक्ति बनते हम मीरा सा प्यार बने.....,

 शाजापुर(म.प.) से आए कवि दिनेश देशी घी ने अपनी रचना गम नही मुझे की राष्ट्रगान में राजस्थान का नाम नही होता 

राष्ट्र गान में मान नही होता ,

अरे राजस्थान नही होता तो हिंदुस्तान हिंदुस्तान नही होता....पर खूब तालियों की दाद पाई।

लाफ्टर चैलेंज के प्रतिभागी रहे सुरेश अलबेला ने रचना बीज नफरत के लोगों को कहीं बोने नहीं दूंगा,मैं अपने मुल्क की मुस्कान को खोने नहीं दूंगा

तुझे लड़ना है तो सरहद पर जा बंदूक लेकर के,मैं दुनिया में किसी भी शख्स को रोने नहीं दूंगा....ने उपस्थित श्रोताओं में जोश भर दिया।

प्रतापगढ़ के कवि पार्थ नवीन ने अपनी हास्य रचना सौ रुपये के एक लीटर को सलाम पेट्रोल तेरी बढ़ती उमर को सलाम..सुनकर जहा सभी को हंसाया,वही उन्होंने अपनी अन्य रचना भारत के टुकड़े करने की जिन लोगो ने ठानी,

हम उनके टुकड़े कर देंगे ऐसी जिनकी बानी, वंदेमातरम जन गण मन की चले लहर तूफानी,

हिंदुस्तान में वही रहेगा जो है हिंदुस्तानी.....पर श्रोताओं ने खड़े हो कर तालियों से स्वागत किया।

भीलवाड़ा के दीपक पारीक ने अपनी रचना ..गुजरा जो वक़्त आज बहारों के बीच में,

हमने भी कर दी शायरी यारों के बीच में,रिश्ते सुधारने हो तो दीवार तोड़ दो,क्यों झाँकते हो रोज दरारों के बीच में...सुनकर हंसाया।

शिवम मूंदड़ा और सौरभ कचौरिया सहयोजक ने बताया कि बुधवार 8 जून को सांय 7 बजे सुखाडिया रंगमंच पर  अलका मूंदड़ा की अध्यक्षता में 

 सास्क्रतिक  संध्या का आयोजन होगा। मुख्य अतिथि निर्मला गोपाल काबरा, विशिष्ठ अतिथि पुष्पा लादूलाल मूंदड़ा,शकुंतला राधेश्याम  तोषनीवाल होंगे


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