उदयपुर, जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के मीरा अध्ययन एवं शोध पीठ द्वारा शनिवार को मीरा जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि भक्तिकाल की भांति वर्तमान संदर्भ में भी मीरा की प्रासंगिकता है जिन्हांेने प्रेम को परम पुरूषार्थ के रूप में स्थापित कर भक्ति को लोक जन तक पहुंचाने का कार्य किया। नारी मुक्ति और सशक्तिकरण आंदोलन का सुत्रपात मीरा ने लगभग 500 वर्ष पूर्व ही कर दिया था। भक्तिकाल ने देश की इतिहास, संस्कृति व परम्परा को जोडने का काम किया। भक्ति साहित्य विश्व के हर कोने में लिखा गया। और अतिशीघ्र प्रतापनगर परिसर में मीरा की मूर्ति स्थापित की जायेगी कि मीरा पीठ का उद्देश्य मीरा जैसी महान कवयित्री और नारी चेतना का प्रतीक के भारत ही नही पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है। मीरा को जानते सब है लेकिन आम जन को उनके इतिहास के बारे में जानकारी नही है। 500 वर्ष पहले नारी में चेतना जगाने का कार्य किया। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि प्रत्येक माह मीरा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सेमीनार एवं कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। पीजी डीन प्रो. जीएम मेहता, विशेषाधिकारी डॉ. हेमशंकर दाधीच, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. रीना मेनारिया, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. पारस जैन, डॉ. कृष्णपाल सिंह देवड़ा, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. घनश्याम सिंह भीण्डर, नारायण पालीवाल, डॉ. आशीष नंदवाना सहित मौजूद थे।