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संपूर्ण भारत देश से लगभग 1300 छात्रों ने ऑनलाइन वर्ग में सीखा संस्कृत बोलना

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06 Jul 20
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संपूर्ण भारत देश से लगभग 1300 छात्रों ने ऑनलाइन वर्ग में सीखा संस्कृत बोलना

भारत ऋषि-मुनियों का पावन देश है जिन्होंने अपने ज्ञान से विश्व को जीने का मार्ग दिखाया । इसीलिए भारत विश्व गुरु कहलाया । 'भा' से तात्पर्य ज्ञान और जो ज्ञान में रत हैं वहीं भारत हैं वहीं भारत विश्व को ज्ञान देने वाला और विश्व को प्रकाशित करने वाला है । गुरु जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये । गुरु जो कुम्हार की तरह व्यक्ति निर्माण करे , अर्थात गुरु जिसे गोविंद से भी बड़ा कहा गया है आज उसी गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा प्रकट करने का दिन है । दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विज्ञान संस्कृत के शास्त्रों में भरा पड़ा है और दुनिया की सबसे बड़ी पीठ व्यासपीठ को कहा गया । इसीलिए इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं । यह बात संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत द्वारा आयोजित ऑनलाइन संस्कृत संभाषण वर्ग के समापन अवसर पर धर्म व ज्ञान नगरी काशी से बोलते हुए अखिल भारतीय शास्त्र संरक्षण प्रमुख डॉ संजीवराय ने कही । डॉक्टर राय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की वाहक संस्कृत भाषा के प्रति समर्पण भाव से कार्यकर्ताओं को कार्य करते हुये संस्कृत को फिर से अग्रिम पंक्ति में खड़ा करना है । समर्पित भाव से किया जाने वाला यह पुण्य कार्य हमारे ऋषि-मुनियों के प्रति सच्ची श्रद्धा है । यह पुण्य प्रवाह अजय हैं जो कि अनादि काल से चला आ रहा है । यह हमारी संस्कृति, हमारे धर्म और हमारे राष्ट्र के गौरव का स्मरण कराता है । हमारी संस्कृति की विजय यात्रा ने हमेशा विश्व शांति के मंगल का ही मार्ग प्रशस्त किया है । अतः हमारे शास्त्रों ने प्रकृति व राष्ट्र को ही गुरु माना है जो हमें सतत् सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं । उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत शास्त्रों में भरे ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का जो पुनीत कार्य संस्कृत भारती के द्वारा किया जा रहा है। जो वास्तविक रूप से आज संस्कृत के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा होगी । इस अवसर पर प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने कहा है कि अजय संस्कृति को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए ही हमारे व्यास मुनि ने पुराणों व वेदों की रचना की और इसी कार्य को समर्पित भाव से करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा होगी ।

 उदयपुर महानगर सम्पर्क प्रमुख हिमांशु भट्ट ने बताया कि आज संस्कृत भारती भी उसी मार्ग पर चलकर संस्कृत के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं । इस अवसर पर 15 दिवसीय प्रांतीय संस्कृत संभाषण वर्ग में  13 सौ छात्रो ने  संस्कृत में बोलना सिखा। उन्होंने कहा कि

यह शिविर प्रतिदिन 1.5 घण्टा तीन सत्रो में आयोजित हुआ जिसका समय प्रातः 8:00 से 9:30 मध्यान्ह 12:00 से 1:30 एवं रात्रि 8:00 से 9:30 तक रहा।

 उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य रूप से उदयपुर से प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ यज्ञ आमेटा, महानगर सयोजक नरेंद्र शर्मा, प्रचार प्रमुखा रेखा सिसोदिया,संपर्क प्रमुख हिमांशु भट्ट,जिला संयोजक संजय शांडिल्य, विभाग संयोजक दुष्यन्त नागदा, शिक्षण प्रमुखा रेणु पालीवाल, अर्चना जैन, पत्राचार प्रमुख मंगल कुमार जैन आदि प्रमुख रहे।

चित्तौड़ प्रांत से इस अवसर पर ध्येय मंत्र निहारिका बच्चन, काव्य गीत संगीता राठौर , अतिथि परिचय प्रांत शिक्षण प्रमुख मधुसूदन शर्मा  , वर्ग परिचय विभाग संयोजक अजमेर डॉ आशुतोष पारीक , धन्यवाद ज्ञापन मीठालाल माली एवं संस्कृत भारती का परिचय प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने कराया । अंत में कल्याण मंत्र अनिरुद्ध सिंह राठौर ने किया । कार्यक्रम में भीलवाड़ा से परमानंद शर्मा प्रांत विद्वत् परिषद प्रमुख, भीलवाड़ा विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत, प्रांत सह संपर्क प्रमुख ललित नामा, बांसवाड़ा जिला संयोजक लोकेश जैन, प्रांत महिला प्रमुखा दिव्य ढूंढारा, शाहपुरा जिला महिला प्रमुखा पूजा गुर्जर, अजमेर जिला संयोजक देवराज कुमावत, आसींद जिला संयोजक देवीलाल प्रजापत आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे ।


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