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भारतीय लोक कला मण्डल में कला अनुभव कार्यशाला का आयोजन हुआ

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14 Feb 20
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भारतीय लोक कला मण्डल में कला अनुभव कार्यशाला का आयोजन हुआ

उदयपुर भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर में राजस्थान स्टूडियों, जयपुर के साझे में एक दिवसीय कला अनुभव कार्यशाला का आयोजन हुआ।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि उक्त एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन का उद्धेश्य प्रदेश के अनेक सम्मानित और उत्कृष्ट कलाकारों के साथ जुड़ कर लोगों को एक अवसर, एक मंच प्रदान करना है, जहाँ वो एक कलाकार के साथ उसकी दुनिया और उसकी कला का स्वयं अनुभव कर स्वयं कर सके और साथ में उस कला का नमूना भी बना सके । राजस्थान स्टूडियो (Rajasthan Studio) का यह प्रयोग जयपुर में बहुत सफल रहा, जिसमें ब्लू पॉटरी, चन्दन की लकड़ी पर नक्काशी, फ्रैस्को पेंटिंग, जेमस्टोन कार्विंग, मिनिएचर पेंटिंग और मीनाकारी जैसी कई कलाएं शामिल हैं।  और अब इसी क्रम को उदयपुर शहर को जोड़ा गया है। झीलों की नगरी उदयपुर के प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित कलाकार राजस्थान स्टूडियो के साथ जुड़ कर अपना परिचय करवाएंगे  जिसमें सी -फोम कार्विंग, नक्काशी कला, पिछवाई पेंटिंग, फड़ पेंटिंग और मिनिएचर पेंटिंग (Miniature painting) जैसी शानदार कलाओं से। 
उन्होने बताया कि दुनिया ग्लोबल तो हो गई है, पर सोशल नेटवर्किंग (social networking) के इस दौर में बहुत कुछ पीछे रह गया है।  आज हम अपना अधिकांश समय ऑनलाइन (Online) रहते हैं, दोस्तों से पहले जो मिल कर बात हुआ करती थी वो अब व्हाट्सएप चैट तक सीमित रह गई है।  पहले  छुट्टियों में कुछ नया हुनर, कोई नई  कला सीखा करते थे पर आज समय बदल गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों का कला से जुड़ाव कम होता जा रहा है। वास्तव में आज के तनाव भरे व्यस्त जीवन में हमें कला की रचनात्मक और सकारात्मक ऊर्जा की अधिक आवश्यकता है। कला हमारे शौक और हमारे भीतर छुपे भावों को व्यक्त करने का एक बड़ा कारगर माध्यम भी है। अतः इस प्रकार कि कार्यशाला का महत्व और बढ़ जाता है।
राजस्थान स्टूडियो के कार्तिक गग्गर ने बताया कि बीते वर्ष जब जयपुर से राजस्थान स्टूडियो (Rajasthan Studio) ने अपने सफर की शुरुआत की तो यही उद्देश्य था कि अपने देश और अपनी धरती से जुड़ी विभिन्न लोक कलाओं से लोगों को जोड़ा जाए और उन्हें एक माध्यम दिया जाएं जिसके जरिए वे अपने जीवन और भावों में संतुलन का अनुभव करें। आज की पीढ़ी और हर उस उम्र वर्ग के लोग जो किसी भी कला में रूचि रखते हैं और उन्हें सीखने और महसूस करने की चाहत रखते हैं, राजस्थान स्टूडियो उन्हें अपने अनुसार कला सत्र क्यूरेट करने का मौका देता है। कार्यशाला में प्रख्यात शिल्पगुरू प्रदीप मुखर्जी, हर्ष छाजेड़, राजा राम शर्मा, कन्हैया शर्मा, शैल चोयल, पृथ्वीराज कुमावत एवं एल. एल. वर्मा आदि शिल्प कलाकारों ने अपने अनुभवों को आमजन से साझा किया। 


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