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दो दिवसीय ’स्टेम' सेमिनार

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17 Jan 20
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दो दिवसीय ’स्टेम' सेमिनार

 

उदयपुर ।  स्टेम को, जाॅर्जिया दक्षिणी विश्वविद्यालय, अमेरिका एवं नारायण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ’स्टेम’ शिक्षा पद्धति से शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का दो दिवसीय सेमिनार शुक्रवार को सेवा महातीर्थ, बड़ी में सम्पन्न हुआ।
   इस दो दिवसीय अधिवेशन में संस्थान के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों को ’स्टेम’ शिक्षा प्रणाली से शारीरिक दृष्टि से असक्षम विद्यार्थियों को शिक्षित करने सम्बंधी पाठ्यक्रम एवं विधाओं से अवगत कराया गया।
   स्टेम को, की संस्थापक एवं सी.ई.ओ डाॅ. पेडी शर्मा ने कहा कि स्टेम शिक्षा पद्धति मानव जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने वाले चार विषयों का समूह है। जिनकी समन्वित शिक्षा से बालकों के भावी जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। जिस तरह पौधों के बढ़वार के लिए उनके बीच समुचित दूरी जरूरी है तो सिचांई, प्रकाश व सुरक्षा आदि भी उतनी ही जरूरी है जितनी स्टेम शिक्षा पद्धति भी। स्टेम शिक्षा पद्धति, साइंस, टेक्नोलाॅजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स पर आधारित है। इन विषयों के माध्यम से बच्चों में जिज्ञासा पैदा करना और उन्हें इन विषयों के अध्ययन के साथ संतुष्ट करना भी शामिल है।
   उन्होंने कहा कि बच्चे ये तो जानते है कि सुनामी क्या होती है? लेकिन वे यह नहीं जानते कि सुनामी के कारण, उसके बचाव क्या है?
 स्टेम शिक्षा पद्धति बच्चे को इन तमाम प्रश्नों का जवाब देती है। जाॅर्जिया दक्षिणी विश्वविद्यालय की स्टेम इंस्टेक्टर डाॅ. कानिया ग्रीर ने कहा कि यह एक शिक्षण पद्धति है जिसमें बच्चों की सुक्षुप्त प्रतिभा को उजागर करने की क्षमता है। बच्चों को केवल कल्पनाओं तक ही सीमित नही रखना है बल्कि उनकी कल्पनाओं को साकार भी करना है और यह स्टेम शिक्षा पद्धति आसानी से संभव करती है।
इन्स्टेक्टर डाॅ. करिन फिशर ने कहा कि कल कौन क्या बनेगा? यह किसी को पता नही है लेकिन स्टेम शिक्षा पद्धति बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें उनकी रूचि के अनुसार उसी दिशा में दक्ष करती है जो वे बनना चाहते है । उन्होंने बताया कि स्टेम स्टेम को मुम्बई और कोलकाता के कुछ विद्यालयों में इसे लागू कर चुकी है और उसके बेहतर परिणाम सामन आ रहे है। राजस्थान में नारायण सेवा संस्थान पहला केन्द्र है जहां इस पद्धति को लागू किए जाने को लेकर अध्यापकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण पूर्ण किया गया है। सेमिनार के समन्वयक मनोज बारोठ ने कहा कि साइंस, टेक्नोलाॅजी, इंजीनियरिंग एवं मैथमेटिक्स पर आधारित स्टेम शिक्षा पद्धति का उद्देश्य शिक्षा के स्तर को उन्नत बनाते हुए भारतीय शिक्षा के परिवेश में इस पद्धति को प्रभावशाली तरीके से समन्वय करना है।
  संस्थान निदेशक वंदना अग्रवाल ने अमेरिका से आए शिक्षाविदों का स्वागत करते हुए कहा कि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर दिव्यांग मूकबधिर एवं निराश्रित बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए संस्थान के विद्यालय निरन्तर प्रयत्नशील है । स्टेम शिक्षा प्रणाली लागू करने से हमारा ऐसा मानना है कि बच्चों के भविष्य की नींव मजबूत होगी और हम विश्व को आईंसटीन जैसे वैज्ञानिक पुनः दे सकेंगे।
  संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव व संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि दो दिवसीय सेमिनार में प्राप्त अनुभवों के आधार पर संस्थान के विद्यालय शिक्षा में ओर अधिक गुणवत्ता को सुनिश्चित करेंगे। जिन शिक्षकों का अध्यापन इस पद्धति के अनुरूप श्रेष्ठ होगा उन्हें अमेरिका की स्टेम शिक्षा कक्षाओं में भाग लेकर एडवान्स प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। सेमिनार में प्रेरणा ओझा ने स्टेम सेमीनार के अनुभव साझा किए । संचालन नारायण चिल्ड्रन एकेडमी की प्राचार्य प्रीति मेहरोत्रा ने किया। विषयवार प्रशिक्षण के प्रभारी शंकर डांगी व रोहित तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए, आभार संस्थान के विदेश विभाग प्रभारी रवीश कावड़िया ने ज्ञापित किया।


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