उदयपुर (डॉ. घनश्यामसिंह भीण्डर) / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय में मंगलवार को राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया गया। कुलपति प्रो.एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि प्रजातंत्र तब ही अर्थपूर्ण है, जब वह सामाजिक-आर्थिक न्याय पर आधारित हो। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। उन्होंने कहा कि छात्र संविधानमें वर्णित अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहे। सविधान ने देश के नागरिकों को कई अधिकार दिये है जिससे लोग अपना जीवन यापन अच्छी तरह से कर सकते है। हमारे देश का संविधान ऐसा है कि जिसे हमें रोज सुबह उठकर प्रणाम करना चाहिए, पुरे विश्व में ऐसा संविधान नही है। चीन, पाकिस्तान, इरान, श्रीलंका का लोकतंत्र भी हमारे सामने कही नही टिकता है। तमाम विविधताओं के बावजूद हम अपने संविधान की वजह से दूनिया में सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बने है। हमें जो मौलिक अधिकार मिले है वह बहुत कम देशों में नागरिकों को प्राप्त है। हमें संविधान के उद्देश्यों को समझकर लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए। डीन पीजी प्रो. जी.एम.मेहता ने कहा कि हमारे संविधान को हिन्दी व अंग्रेजी में हाथ से लिखा गया था, इसमें कोई टाइपिंग या प्रिन्टिंग नही की गई थी। संविधान की असली कॉपी प्रेमबिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। वरिष्ठ लेखाधिकारी डॉ. हरीश शर्माविशेषाधिकारी डॉ. हेमशंकर दाधीच, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. आशीष नन्दवाना, डॉ. महेन्द्र सिंह सोलंकी, राजेन्द्र वर्मा, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, एल.एन.योगी साहित विद्यार्थी मौजूद थे।