उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के मुनि संजय कुमार ने कहा कि आज व्यक्ति पैसे रूपी लक्ष्मी की तो पूजा करता है लेकिन घर में पतिव्रता पत्नी का तिरस्कार करता है। पूजा अर्चना करता है लेकिन घर में पत्नी से मारपीट करते सुना जाता है। ऐसे तथाकथित महात्मा का जीवन परिवर्तन संभव नहीं है। जब महापुरुष जगत से उठ जाते हैं तो अध्यात्मरूपी ज्ञान का अंधकार छा जाता है। अमावस्या का घोर अंधकार होने से देवताओं ने रत्नों से प्रकाश किया। लोग बाहर से प्रकाश करते हैं लेकिन भीतर से कब प्रकाशित होंगे?
वे जैन दर्शन में भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव के रूप् में मनाए जाने वाले दीपपर्व पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा कि दीपमालिका त्योहार के साथ कई अध्यात्म पुरुषों का जीवन आदर्श जुडा है। भगवान महावीर निर्वाण दिवस, रामतीर्थ, परमहंस, स्वामी विवेकानंद, भगवान राम का वनवास सम्पन्न कर अयोध्या आगमन आदि के साथ दीपावली जुडा हुआ है जिनका जीवन सदैव प्रेरणा स्रोत रहा है। दीपावली आतिशबाजी, आडम्बर मुक्त, भाईचारा, सौहार्द, व्यसनमुक्त, त्याग, तप से मनाना चाहिए। मुनि प्रकाश कुमार और धैर्य मुनि ने भी विचार व्यक्त किए। सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने भी विचार व्यक्त किए। अगले दिन वृहद मंगल पाठ का आयोजन हुआ। आगामी वर्ष के लिए समाजजनों को मुनिवृंदों ने मेरे कारण घर, समाज में क्लेश न हो, नशामुक्त जीवन, खान-पान की शुद्धि, ईष्टमंत्र की साधना, संतदर्शन आदि के संकल्प कराए।