उदयपुर। महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर सिटी पैलेस म्यूजियम आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की जानकारी के लिए तथा मेवाड की आकर्षक फड कला को प्रोत्साहन की दिशा में फड पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी जनाना महल के लक्ष्मी चौक में आगामी १० जून २०१९ तक प्रदर्शित रहेगी। शनिवार, १८ मई २०१९ को अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर स्कूल के बच्चों के लिए सिटी पैलेस म्यूजियम में निःशुल्क प्रवेश रहेगा - इसके लिए बच्चों को स्कूल का पहचान पत्र लाना अनिवार्य है।
मेवाड की फड चित्रकारी ७०० वर्षों से भी पुरानी कला है। यह कला राजस्थान के भीलवाडा क्षेत्र में खूब फली-फुली। इस कला में बनाई गई चित्रकारी को पढ-गाकर सुनाए जाने का प्रचलन रहा है, जिसमें कथावाचक द्वारा लोक देवताओं व नायक-नायिकाओं की कहानियां और किदवंतियों का वर्णन कपडे पर बनी फड कला के चित्रों को समझाते हुए करता था। शाहपुरा की पारम्परिक फड चित्रकारी का भारतीय कला जगत ही नहीं वरन् विदेशों में भी बोलबाला रहा है।
महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेषन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि मेवाड के बारह सौ वर्षों के इतिहास को संक्षिप्त रूप से फड कला में ५६ फिट लम्बे केनवास पर उतारा गया है। जिसमें मेवाडनाथ परमेश्वराजी महाराज एकलिंगनाथजी, महर्षि हारीत राशि और बापा रावल के वृतांत को दर्शाते हुए मेवाड की मुख्य-प्रमुख घटनाक्रमों के साथ ऐतिहासिक जानकारियों वाले दृश्यों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही ५६ फिट की इस पेंटिंग में मेवाड के प्रथम से लेकर ७६वें एकलिंग दीवान को दर्शाया गया है। महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप और महाराणा राजसिंह जी के ऐतिहासिक घटनाक्रमों के चलते यह पेंटिंग बहुत ही आकर्षक बन पडी है। इस पेंटिंग में प्रभु द्वारिकाधीशजी और श्रीनाथजी के आगमन को भी दर्शाया गया है। यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को भी रू-ब-रू करवाना है।
फड चित्रकारी में प्रायः धार्मिक चित्रकारी ही होती है जो परम्परागत रूप से कपडे या कैनवास के लम्बे टुकडे पर बनाई जाती है। इस कला की विशेषता यह है कि इसमें काम में आने वाले रंग भी फूलों और जडी-बूटियों द्वारा तैयार किया जाता है। जो स्वयं चित्रकार तैयार करते हैं। राजस्थान के लोक-देवी-देवताओं के कथावृत्त, अवतारों और देश के कई महानायकों के जीवन से संबंधित चित्रण भी होता है। परम्परा के अनुसार भोपा, पुजारी-गायक अपने चित्रित फड को अपने साथ ले जाते हैं और चित्रित लोक देवताओं, मंदिर के रूप में समझाते हुए इसकी जानकारी से रूबरू करवाते हैं। ५६ फिट लम्बी इस पेंटिंग को बनाने वाले देश के ख्यातनाम कलाकार मेवाड के शाहपुरा निवासी अभिषेक जोशी है, जिन्हें यह कला विरासत में अपने पुरखों से मिली।
प्रदर्शनी को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस २०१९ पर आईसीओएम की थीम के अनुरूप बनाने का प्रयास किया गया है। इस अवसर पर फाउण्डेशन बच्चों को यहां आमंत्रित कर उन्हें फड की आकर्षक चुनिंदा कहानियों वाली पुस्तक के साथ एक एक्टिविटी शीट निःशुल्क प्रदान करेंगे, शीट पर स्टूडेंट अपनी पसंद के चित्रों को उतार सकते है और अपने साथ घर ले जा सकते है।