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37 साल के युवक ने महीनों वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्लभ लकवा बीमारी को मात देकर पारस हेल्थ, उदयपुर में नई जिंदगी पाई

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17 May 25
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37 साल के युवक ने महीनों वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्लभ लकवा बीमारी को मात देकर पारस हेल्थ, उदयपुर में नई जिंदगी पाई

उदयपुर: 37 साल के अभिनव बाजपेयी ने उदयपुर के पारस हेल्थ में महीनों इलाज के बाद एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी, गिलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पूरी तरह ठीक होकर दिखाया कि हिम्मत और अच्छी दवा से सब कुछ ठीक हो सकता है।

अभिनव की दिक्कत सितंबर 2024 में शुरू हुई, जब अचानक कमजोरी ने पूरी तरह लकवे का रूप ले लिया। उन्हें गिलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) की एक दुर्लभ और कम होने वाली बीमारी AMAN (एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी) हो गई। इसके कारण उनके चारों हाथ-पैर पूरी तरह सुन्न हो गए और वे खुद से सांस भी नहीं ले पा रहे थे। अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती होकर वह छह महीने तक वेंटिलेटर पर रहे, लेकिन तब तक ज्यादा सुधार नजर नहीं आया।

जनवरी 2025 में नई उम्मीद के साथ अभिनव को उदयपुर के पारस हेल्थ में लाया गया। जब वह आए, तब वे पूरी तरह वेंटिलेटर पर निर्भर थे और बिस्तर पर पड़े थे, उन्हें चलने-फिरने में बहुत मुश्किल हो रही थी। डॉ. मनिष कुलश्रेठा की देखरेख में उनका इलाज एक बेहतर योजना के तहत किया गया।

डॉ मनीष कुलश्रेष्ठ, सीनियर न्यूरोफिजिशियन, पारस हेल्थ उदयपुर ने इस केस के बारे में बताते हुए कहा, “हमारा इलाज ऐसा बनाया गया था कि अभिनव की हर स्तर पर मदद हो सके। गिलेन-बैरे सिंड्रोम की AMAN रूप मोटर नसों को नुकसान पहुंचाती है और अचानक गंभीर लकवा ला सकती है, जिसके लिए अक्सर वेंटिलेटर की जरूरत होती है। अभिनव के मामले में हमने उनकी ताकत फिर से बनाने पर ध्यान दिया। उनकी सांस लेने में मदद के लिए रेस्पिरेटरी थेरेपी की, धीरे-धीरे चलने-फिरने के लिए खास फिजियोथेरेपी की और हर छोटे सुधार को ध्यान से देखा। इतना ही नहीं हमने उनकी भावनाओं का भी पूरा ख्याल रखा। हम उनके साथ हर अच्छे-बुरे समय में खड़े रहे क्योंकि ऐसी बीमारी से ठीक होना सिर्फ शरीर की ही नहीं, बल्कि उम्मीद को भी वापस लाने जैसा होता है।”

इलाज शुरू होने के कुछ हफ्तों बाद अभिनव में धीरे-धीरे लेकिन अच्छे संकेत दिखने लगे। उनकी सांस मजबूत होने लगी और उनके हाथ-पैर में फिर से हलचल आई। आज अभिनव पूरी तरह से वेंटिलेटर से बाहर हैं, कम मदद से चल सकते हैं और जो जिंदगी पहले असंभव लगती थी उसे अब फिर से सामान्य रूप से जी रहे हैं।

अपना धन्यवाद जताते हुए अभिनव ने कहा, “पारस हेल्थ की टीम ने मुझे सिर्फ उम्मीद ही नहीं दी, बल्कि मेरी हर कदम पर मदद की। अब मैं खुद से सांस ले सकता हूं, अपने आप चल सकता हूं और अपने दम पर जी सकता हूं। यही मेरे लिए सब कुछ है।”

यह केस पारस हेल्थ की जटिल न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के लिए खास, दयालु और एक्सपर्ट देखभाल का वादा दर्शाता है। पूरे भारत में मौजूद पारस हेल्थ क्रिटिकल केयर और न्यूरो-रिहैबिलिटेशन में एक भरोसेमंद नाम बना हुआ है। यह हॉस्पिटल चेन मरीजों और उनके परिवारों को नई उम्मीद देता है।


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