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त्वरित टिप्पणी :रेगिस्तानी राजस्थान से हरियालो राजस्थान की मुहिम 

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07 Jul 25
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त्वरित टिप्पणी :रेगिस्तानी राजस्थान से हरियालो राजस्थान की मुहिम 

राजस्थान का नाम सुनते ही आज भी जेहन में एक बड़े रेगिस्तान की छवि उभर कर आ जाती है। शताब्दियों से देश दुनिया के लोगों की धारणा रही है कि राजस्थान यानि रेतीला प्रदेश, सांप - और सपेरों का प्रदेश है । आरम्भ में यह धारणा एक लिहाज से ठीक भी थी क्योंकि पश्चिमी राजस्थान का एक बड़ा भू भाग एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में शुमार थार मरुस्थल का विशाल क्षेत्रफल था जो कि राजस्थान को पड़ोसी पाकिस्तान की सीमा से विभाजित करता था। वैदिक कथाओं के अनुसार थार रेगिस्तान पहले समुद्र था लेकिन भगवान राम के रावण की लंका पर चढ़ाई के समय समुद्र से मार्ग नहीं देने से रुष्ठ होकर अपनी कमान से निकाले धनुष के तीर कमान को समुद्र पर रामसेतु का मार्ग प्रशस्त होने के बाद इसी दिशा में छोड़ने से गुजरात और राजस्थान के सीमा पर समुद्र सुख कर रेगिस्तान बन गया। कुछ लोगों की यह मान्यता भी है कि पश्चिमी राजस्थान के कुछ क्षेत्रों से लुप्त हुई सरस्वती नदी की धाराएं बहती थी। वैज्ञानिक शोध में भी इसके प्रमाण मिलते है। पश्चिमी राजस्थान में मिले तेल,पानी और प्राकृतिक गैस के अथाह भंडार भी इसकी गवाही देते है।

 

पश्चिम और उत्तर राजस्थान के सूखे और रेगिस्तानी राजस्थान को हर भरा बनाने की शुरुआत आजादी के बाद एशिया की सबसे बड़ी सिंचाई और पेयजल की राजस्थान केनाल परियोजना (इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना) के साथ शुरू हुई। इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना ने पश्चिमी राजस्थान का भूगोल बदल कर रख दिया। पिछले सात दशकों में रेगिस्तान का यह इलाका श्री गंगानगर  से बाड़मेर के गडरा रोड तक  का किसी जमाने में रेल के धोरो से अटपटा रहने वाला इलाका आज हर भरा दिखने लगा है तथा अब जैसलमेर के सम और कुड़ी जैसे इलाकों में ही पर्यटक रेत के धोरों को देखने जाता है। पचपदरा में हजारों करोड़ रु की लागत से बन रही तेल रिफाइनरी और पेट्रो कॉम्पलेक्स तथा जोधपुर से जैसलमेर तक सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी के प्रोजेक्ट पश्चिमी राजस्थान को आने वाले दिनों में दुबई और आबुधाबी जैसे देशों से भी अधिक बहबूदी और विकसित क्षेत्र में बदलने वाले है। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में ग्लोबल वार्मिंग भी वरदान साबित हुई है तथा पीढ़ियों तक वर्षा की बूंदों के लिए तरसने वाले पश्चिमी राजस्थान में अब रिकॉर्ड वर्षा हो रही है तथा थार रेगिस्तान का बड़ा भू-भाग हर भरा ही गया है। पश्चिमी राजस्थान के अलावा  देश के सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले प्रदेश राजस्थान के शेष भी भाग भी अर्द्ध शुष्क क्षेत्र और अर्द्ध रेगिस्तान ही है जहाँ सतही और भूमिगत पानी की भारी कमी होने से राजस्थान को हरियाला राजस्थान बनाने की कड़ी चुनौतियां हमेशा से रही है।

 

इस पृष्ठभूमि में राजस्थान के मुख्यमंत्री  भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में संकल्प से सिद्धि की ओर बढ़ते हुए प्रदेश ने ‘हरियालो राजस्थान वृक्षारोपण महाभियान’ के रूप में एक नयी हरित क्रांति का सूत्रपात किया है। राज्य सरकार ने राजस्थान की धरती को हरा भरा बनाने के इस महाभियान के तहत इस मानसून में प्रदेश भर में 10 करोड़ पौधे लगाने का संकल्प किया है। जिसके तहत अब तक 54 हजार 900 से अधिक स्थानों पर 50 लाख 87 हजार से अधिक की संख्या में पौधारोपण किया जा चुका है। पिछले साल भी इस अभियान के तहत 7 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे। अभियान के सतत् एवं सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा हर जिले में आमजन की सहभागिता से एक मातृ वन भी विकसित किया जा रहा है। जनभागीदारी से यह अभियान नए कीर्तिमान स्थापित करेगा और मरु प्रदेश कहलाने वाला राजस्थान हरे भरे प्रदेश के रूप में अपनी पहचान स्थापित करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ को भी यह अभियान आगे बढ़ा रहा है। 

 

भजन लाल सरकार ने ’मिशन हरियालो राजस्थान’ के तहत 5 सालों में 50 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। राज्य में इस महाअभियान को प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ मां के नाम’ महाअभियान से समायोजित किया गया है। पौधारोपण के बाद पौधे की निगरानी के लिए ‘हरियालो राजस्थान’ मोबाइल एप्लीकेशन भी विकसित की गई है, जिससे पौधे से वृक्ष बनने तक सार-सम्हाल, उसके स्वास्थ्य और अस्तित्व को पंजीकृत करने, ट्रैक करने के साथ ही उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। पौधे को लगाने से लेकर उन्हें वृक्ष बनने तक सहेजने का संकल्प राजस्थान को एक हरित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। 

राज्य सरकार का यह महाअभियान केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जन आंदोलन बन चुका है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। राज्य सरकार के वर्ष 2024-25 के बजट में की गई घोषणा के क्रम में प्रदेश के सभी जिलों में आमजन की सहभागिता से एक-एक मातृ वन की स्थापना की गई है। स्मृति वन की तर्ज पर बनाये जा रहे इन मातृ वनों में आमजन अपने परिजनों की याद में उनके नाम पर पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देंगे। इसके अतिरिक्त जन्मदिवस और सालगिरह के शुभ अवसर पर भी इस तरह का वृक्षारोपण कर हरित प्रदेश की दिशा में अपनी भागीदारी निभा सकेंगे। 

 

पिछले मानसून में हरियाली तीज के अवसर पर 7 अगस्त, 2024 को आयोजित विशाल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने हजारों लोगों के बीच ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के भावपूर्ण संकल्प को जन-जन से साझा किया। उन्होंने जयपुर जिले की दूदू तहसील के गाहोता में पीपल का पौधा लगाकर इस महाअभियान का शुभारंभ किया। प्रदेश को केंद्र सरकार से तीन करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के संकल्प को साकार करने की दिशा में हर प्रदेशवासी भागीदार बना और इस दौरान 7 करोड़ 35 लाख पौधे लगाए गए। घर, खेत, सड़क किनारे, सार्वजनिक कार्यालयों, विश्वविद्यालयों, कॉलेज, स्कूल परिसर में लाखों पौधे न केवल लगाए गए बल्कि उनकी संभाल और उन्हें वृक्ष बनने तक सहेजने का भी प्रण भी लिया गया। 

इस अवसर पर प्रदेश में 80 हजार हेक्टेयर वनभूमि में पौधे लगाए गए, साथ ही एक दिन में एक करोड़ से अधिक नए पौधे लगाकर प्रदेश ने कीर्तिमान स्थापित किया। सघन पौधारोपण कर विश्व रिकॉर्ड बनाने के उपलक्ष्य में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा राज्य सरकार को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। 

 

राजस्थान में  इस वर्ष 1 अप्रेल 2025 से 3 जुलाई 2025 तक मनरेगा में 29 लाख 68 हजार 502, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास  द्वारा 13 लाख 25 हजार 241, वन विभाग की ओर से  2 लाख 72 हजार 793, जल ग्रहण विभाग द्वारा 1 लाख 43 हजार 78 तथा उद्यान विभाग की ओर से 1 लाख 25 हजार 792 पौधे लगाए गये है। 

 

देखना है रेगिस्तानी राजस्थान से हरियालो राजस्थान की यह मुहिम इस बार किस तरह जन आंदोलन बन के नए कीर्तिमान बनाने वाली है?

 

 


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