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राजपाल का बयान गैर जिम्मेदारना ः रामेश्वर डूडी

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04 Aug 15
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जयपुर,राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा है कि नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री राजपाल सिंह शेखावत का यह कथन कि ‘प्रदेश में कई यूआईटी राजनीतिक फायदा लेने के लिए खोली गई थीं और सरकार सीकर, जैसलमेर और पाली जैसी प्रमुख यूआईटी को बंद कर सकती हैं’, यह वक्तव्य गैर जिम्मेदारना और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार नगरीय निकायों को कमजोर करने की साजिश रच रही है। नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री के वक्तव्य को डूडी ने गैर जिम्मेदाराना रवैये की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि प्रदेश में एक तरफ नगर निकाय चुनावों का दौर चल रहा है और दूसरी तरफ नगरीय विकास मंत्री नगर निकायों की आत्मा को चोट पहुंचा रहे हैं। प्रदेश में ऐसा सत्ता हठ पहले कभी नहीं देखा गया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में नगर निकायों को समर्थ बनाने और लोकतांत्रिक अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के लिए कई प्रमुख जिल में यूआईटी खोली गई थी। इसके अलावा नगरीय निकायों के महापौर, सभापति एवं अध्यक्ष के पदों पर चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के जरिये कराने का प्रावधान पूर्ववर्ती सरकार ने लागू किया था। प्रदेश में वर्ष 2॰॰9 में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम को संपूर्ण राज्य में प्रभावी कर नगर पालिकाओं की बढती हुई आवश्यकताओं के अनुरूप नगर निकायों को अधिक स्वतंत्रता दी गई थी। राज्य के समस्त नगर निकायों में ई-गवर्नेंस लागू करने की कार्ययोजना के निर्माण के साथ ही नगर निकायों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने के लिए 1॰॰॰ करोड रूपये का राजस्थान शहरी विकास कोष गठित कर 34॰.8 करोड रूपये का ऋण वितरित किया गया था। राजीव आवास योजना में राज्य के समस्त शहरों व कस्बों को कच्ची बस्ती रहित करने के लिए राज्य स्तरीय कार्य योजना बनाकर इसका सर्वेक्षण भी कराया गया था। ऐसे ही शहरी विकास के व्यापक संकल्पों के तहत सुदृढ निर्णयों की कडी में सीकर, जैसलमेर और पाली जैसे प्रमुख जिलों में नगर सुधार न्यास (यूआईटी) का गठन किया गया था। ताकि इन जिलों का आधारभूत विकास सुनियोजित रूप से अधिक त्वरित गति से हो सके। राज्य के इकलौते पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू के तीव्र गति से विकास के लिए माउंट आबू व आबू रोड को मिलाकर वहां नगर सुधार न्यास का गठन किया गया था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लेकिन जिस तरह नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री ने वक्तव्य दिया है उससे प्रतीत होता है कि उन्होंने मंत्री बनने के बाद अपने विभाग की संरचना और संकल्पों को समझने का प्रयत्न ही नहीं किया है अन्यथा कोई भी कैबीनेट मंत्री अपने महकमे के नीतिगत निर्णयों पर ऐसा अनर्गल बयान कभी नहीं देता। इसलिए शेखावत अपने विभाग को पहले समझें और फिर बोलें।


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