कविता की दुनिया का एक उजाला आज शब्दों में समेटा गया, जब राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में प्रख्यात कवि और संवेदनशील साहित्यकार बशीर अहमद मयूख को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। माहौल में गूंजते शब्द, डबडबाई आंखें और मौन की गूंज ने बता दिया कि एक युग का कवि आज सजीव स्मृतियों में समा गया।
इस अवसर पर कोटा साहित्यिक संसार के कई महत्वपूर्ण नाम मौजूद रहे, जिनमें जितेन्द्र निर्मोही, , डा दीपक कुमार श्रीवास्तव , मुरलीधर गौड़, विजय शर्मा, विजय महेश्वरी, रामगोपाल गौतम, बाबू बंजारा, प्रो. के.बी. भारतीय, प्रेम शास्त्री, रेखा पंचोली, श्यामा शर्मा, डॉ. शशि जैन, अनुराधा शर्मा, श्वेता शर्माऔर नहुष व्यास, नरेंद्र शर्मा एडवोकेट , बिगुल जैन, अलीम आईना , बद्री लाल दिव्य , डा ज्ञास फ़ाईज़ , महेंद्र शर्मा, चाँद शेरी शामिल रहे।
डॉ. दीपक श्रीवास्तव, पुस्तकालय अध्यक्ष एवं प्रख्यात साहित्यप्रेमी, ने अपने उद्बोधन में कहा- मयूख साहब केवल कवि नहीं थे, वे शब्दों के सिपाही थे। उनकी कविताएं आत्मा को छू जाती थीं, वे हर पंक्ति में संवेदना, समाज और सत्य का रंग भरते थे। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक सृजनशील चेतना का विराम है।
जितेन्द्र निर्मोही ने भी उनके रचनात्मक योगदान को याद करते हुए कहा - मयूख की कविताएं समाज की धड़कन थीं। वे हर दर्द को जीते थे और हर भावना को शब्दों में ढाल देते थे। वो अध्यात्म और दर्शन के लब्ध प्रतिष्ठित कवियों मे से एक थे |
यह श्रद्धांजलि सभा न केवल एक कवि को याद करने का अवसर थी, बल्कि यह साहित्य की गरिमा को नमन करने का क्षण भी था। मयूख की यादें, उनका लेखन और उनका आत्मीय व्यवहार सदैव कोटा की साहित्यिक आत्मा में जीवित रहेगा। मयूख अब चले गए हैं, पर शब्दों में वे अमर हैं।
चाँद शेरी ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये कहा की मयूख जी सदभावना के अंतराष्ट्रीय कवि थे उन्होने हमेशा राष्ट्र, प्रेम के दीपक जलाए हे वो हम सब को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे |