के डी अब्बासी
जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर खंडपीठ ने आज कोटा के मीट व्यापारी शाहिद ख़ान को बड़ी राहत देते हुए नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा दुकान सील करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति अनूप ढंढ ने सुनाया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजीत कस्वा और अंसार इंदौरी ने प्रभावशाली और तथ्यों पर आधारित जोरदार पैरवी की।
मीट व्यापारी शाहिद ख़ान की दुकान को नगर निगम ने 14 मई 2025 को सील कर दिया था। व्यापारी ने पहले नगर निगम आयुक्त व जिला कलेक्टर के समक्ष अपनी बात रखी, परंतु कोई राहत न मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अधिवक्ता अंसार इंदौरी ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि नगर निगम की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और ग़ैरक़ानूनी तरीके से की गई थी। कोर्ट ने निगम के सीलिंग आदेश को विधिसम्मत नहीं मानते हुए पूरी तरह निरस्त कर दिया।
गौरतलब है कि इससे पूर्व 30 मई 2025 को भी हाईकोर्ट ने मीट व्यापारी नदीम अंसारी के पक्ष में फैसला देते हुए ईद के मौके पर कोटा नगर निगम द्वारा की गई दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने तब भी स्पष्ट किया था कि धार्मिक त्योहारों के समय व्यापारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
कोटा नगर निगम ने बीते कुछ महीनों में कई मीट दुकानों को सील कर दिया था, जिससे स्थानीय व्यापारी वर्ग में भारी असंतोष था। शाहिद ख़ान की दुकान भी इसी कार्रवाई की शिकार बनी थी। लेकिन अब हाईकोर्ट के इस निर्णय से न केवल शाहिद ख़ान को न्याय मिला है, बल्कि अन्य मीट व्यापारियों को भी राहत की उम्मीद जगी है।
इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि प्रशासनिक कार्रवाई करते समय संवैधानिक अधिकारों, विशेषकर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और व्यापार करने के मूल अधिकार का सम्मान किया जाना आवश्यक है।
वकील अजीत कस्वा और अंसार इंदौरी की इस सफल पैरवी को कानूनी हलकों में महत्वपूर्ण जीत माना जा रहा है।