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जिंदगी भगवान का उपहार है   डॉ सुशील जोशी   

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04 May 24
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जिंदगी भगवान का उपहार है   डॉ सुशील जोशी   

  कोटा  अप्रैल।  बच्चों- जिंदगी क्या है ?बच्चों कभी सोचा है कि जिंदगी आखिर है क्या ?मैंने सोचा और उसे पर अमल किया कि वास्तव में जिंदगी भगवान का दिया हुआ *उपहार* है। अतः भगवान ने जो आपको उपहार स्वरूप जिंदगी दी है उसे *अवसर* प्रदान करो अर्थात उसे किसी अच्छे काम में लगाओ जैसे पढ़ने में, खेल में , साहसिक कार्यो में लगाओ ।आपको इस उपहार स्वरूप जिंदगी का एक *लक्ष्य* तय करना है उस लक्ष्य को पाने के लिए अपनी जिंदगी से एक *वायदा* करो कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही रहूंगा ।आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आपको मिली उपहार स्वरूप जिंदगी में काफी *चुनौतियां* आएंगी पर आपको उन चुनौतियों का डटकर सामना करना है और मुंह से गुनगुनाते हुए जिंदगी को एक *संगीत* समझना होगा और जब आप चुनौतियों का सामना मधुर संगीत से करोगे तो हो सकता है कि उपहार स्वरूप मिली जिंदगी में *संघर्ष* पैदा हो ,पर आपको उन *संघर्ष से  घबराना नहीं है, उसे एक *खेल* समझकर या *प्रतिस्पर्धा* समझकर खेलना होगा। तो फौरन ही आपकी जिंदगी से संघर्ष खत्म हो जाएगा।
       यही नहीं अपनी उपहार रूपी जिंदगी को भगवान का दिया हुआ एक *रहस्य* समझो उसे रहस्य से पर्दा उठाते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ो ,फिर देखो तुम्हारा -तुम्हारी उपहार स्वरूप जिंदगी एक *खुशनुमा* प्यारी कहानी बनकर संसार में चमक उठेगी ।पर इसके लिए अपने *कर्तव्य* की पूंजी को अपनी जिंदगी में शामिल करना होगा ।बस, फिर देखो, तुम्हारी यह जिंदगी तुम्हारे लिए *हैरान* बनकर तुम्हारे सामने आएगी !तुम सोचने को मजबूर हो जाओगे , अरे -यह मैंने कैसे प्राप्त कर लिया!, मैं यहां तक कैसे पहुंच गया?
       अतः बच्चों इस उपहार स्वरूप जिंदगी को एक *यात्रा* समझकर पूरा करो ।यात्रा करते समय भी हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है बस इस यात्रा को *खेल* - *खेल* में पूरा करने की ठान लो तो तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की पूर्ति अवश्य होगी। बस बच्चों- जिंदगी को एक *खुशनुमा* *जिंदगी* बना डालो ।


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