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शिक्षाविद आर.पी.गुप्ता विलक्षण प्रतिभा के धनी

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24 Sep 23
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल

शिक्षाविद आर.पी.गुप्ता विलक्षण प्रतिभा के धनी

 कोटा ~ मृदु व्यवहार, मिलनसार, अथक परिश्रमी, लगनशील, धुन के धनी, श्रेष्ठ प्रबंधक, गज़ब की नेतृत्व क्षमता, विषम परिस्थितियों में स्वयं अपना रास्ता बनाने की शक्ति, सदैव नवाचारी, अच्छे लेखक, संपादक और समाज सेवी जैसे अनंत गुणों से भरपूर राजस्थान में कोटा शहर के निवासी आर.पी.गुप्ता एक विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। उनको अपने आप में एक संस्था कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।  वन मैन आर्मी की तरह हमेशा बिना थके निरंतर कार्य कार्य करने वाले गुप्ता जिस संस्था में रहे, उसे गौरवांवित किया और स्वयं भी गौरवांवित हुए। यह सब मै इसलिए लिख पा रहा हूं कि मुझे अपने सेवाकाल में काफी लंबे समय तक इनके साथ रहकर कार्य करने का मौका मिला। बड़े नज़दीक से इनके व्यवहार और कार्यशैली को  मैंने स्वयं देखा, परखा और महसूस किया।
खास तौर पर कोटा जिले के "सम्पूर्ण साक्षरता
अभियान" के दौरान इनके साथ कंधे से कंधा मिला कर दिन -रात कार्य किया।
महत्वपूर्ण 
  वैसे तो इनके कार्यों, उपलब्धियों और पुरस्कारों  पर एक किताब बन जाए, पर एक नज़र इनकी अति महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर डाले तो सबसे महत्वपूर्ण जिले के सम्पूर्ण साक्षरता अभियान में कोटा जिले को राज्य में प्रथम स्थान पर लाने में ये प्रमुख सैनानी की भूमिका में रहे। वर्ष 1996 से सम्पूर्ण साक्षरता और उत्तर साक्षरता के प्रोजेक्ट्स का निर्माण, प्रचार के लिए कला जत्थों का चयन, दोनों प्रोजेक्ट्स का संबधित जिला कलेक्टर के साथ उच्च स्तरीय बैठकों में अनुमोदन, स्वयं सेवकों का चयन और प्रशिक्षण, साक्षरों के लिए चामल पोथियों का निर्माण, इसके लिए विद्वानों की कार्यशालाओं का आयोजन जैसे सभी चरणों को बखूबी पूर्णता प्रदान की। रानपुर से शुरू हो कर अभियान के 15 हजार स्वयं सेवकों की समर्पण की भावना, दिन - रात निरीक्षण कर निरंतर प्रेरित करने के परिणाम स्वरूप जिला बाह्य मूल्यांकन में अग्रिम पंक्ति में खड़ा नज़र आया। उत्तर साक्षरता कार्यक्रम भी सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया।
वर्ष 2001 की जनगणना में जिले को राज्य में साक्षरता विकास में प्रथम स्थान पर घोषित किया गया। खास कर महिला साक्षरता बढ़ कर 65 फीसदी हो गई। कैथून नगर पालिका में 37 फीसदी और ग्राम पंचायत सुल्तानपुर में 30 फीसदी की सर्वाधिक साक्षरता वृद्धि दर्ज की गई।   
   इनके परियोजना अधिकारी के समय में महिला और बाल विकास परियोजना छबड़ा को राज्य में सर्वश्रेष्ठ परियोजना घोषित किया गया। इससे पूर्व आपके समय में पूर्व कोटा जिले के केलवाड़ा विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ  घोषित किया गया। आपके निदेशक काल में यूनेस्को द्वारा " गुणात्मक मूल्यांकन" में जन शिक्षण संस्थान कोटा को पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। आज भी ये जिला प्रौढ़ शिक्षण समिति के माध्यम से 2 साक्षरता केंद्र स्व प्रेरणा पर संचालित कर रहे हैं और जन शिक्षण संस्थान के 90 कौशल विकास केंद्रों पर पांच - पांच निरक्षरों को साक्षर करने के कार्य में जुटे हैं।
साहित्य सृजन
साहित्य सृजन और लेखन के क्षेत्र में आप विद्यार्थी काल से ही कविता, कहानी, विविध शैक्षिक और सामाजिक लेख लिख कर अपनी साहित्यिक प्रतिभा को निखरते रहे। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लगभग 500 से अधिक कविता , कहानियां और आलेख आदि रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपने करीब 50 से अधिक पत्रिकाओं, पत्रों और फोल्डर्स का संपादन और प्रकाशन किया हैं। आपने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गुमानपुरा और  हितकारी विद्यालय पत्रिका का चार साल तक, राजकीय उ.मा.वि. जहाजपुर पत्रिका का, राजकीय माध्यमिक विघालय केलवाडा की पत्रिका "वनान्जलि" का, महिला एवं बाल विकास परियोजना छबड़ा की "संकल्प" एवं "किलकारी" पत्रिकाओं का, महिला एवं बाल विकास कोटा शहर के फोल्डर का, जिला साक्षरता समिति कोटा का मासिक पत्र "चामलधारा" , साक्षरों के लिए "चामल पौथी" प्रथम, द्वितीय,तृतीय, नवसाक्षरों के लिए "जय चम्बल", "लोक देवता तेजाजी", ,"हाडौती के मंदिर", साक्षरता गीतों की संग्रह पुस्तिका के साथ - साथ अन्य  साहित्य का संपादन एवं प्रकाशन करवाया। जन शिक्षण संस्थान में निदेशक पद पर   प्रशिक्षणार्थियों हेतु 5 लघु पुस्तकों एवं प्रगति फोल्डर  का प्रकाशन करवाया। पोरवाल निर्देशिका तथा पोरवाल मॉगलिक का दो-दो बार सम्पादन एवं प्रकाशन, पोरवाल महासंध स्मारिका,राजस्थान पेंशनर्स समाज शाखा कोटा की "रापेंन्सको" पत्रिका का, संभागीय वरिष्ठ नागरिक संस्थान की "अनुभव" स्मारिका का, भोपाल से "पंच कलश" पत्रिका का तथा "पोरवाल समाज दर्पण" का जयपुर से 29 वर्ष तक प्रकाशन कराया। इनके अलावा भी आपने साहित्यिक दृष्टि से  साहित्यकारों की संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और साहित्य निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन भी  सफलतापूर्वक करवाए। 
समाज सेवा :
महिला सशक्तिकरण की दिशा में आपने सेवा काल में  1150 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बैंकों के माध्यम से ऋण के रूप में आर्थिक सहयता उपलब्ध करवाई। परिवार कल्याण के क्षेत्र में 5200 नव दंपत्तियों के सीमित परिवार के लिए संकल्प पत्र भर वाए और कई महिलाओं को प्रेरित कर  साक्षरता और परियोजना अधिकारी के रूप में नसबंदी ऑपरेशन भी करवाए। अल्प बचत और पल्स पोलियों मुक्त कोटा में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। अपनी मौलिक सोच के आधार पर अखिल भारतीय पोरवाल महासंघ के महामंत्री  के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर " मांगलिक प्रकोष्ठ" की स्थापना पर 2015 - 20 की अवधि में देश भर में 6000 विवाह संपन्न करवाए जिनमें से  300 के विवाह कोटा में संपन्न हुए। समाज सेवा की दृष्टि से आप राष्ट्रीय स्तर से ले कर प्रांतीय और जिला स्तर के पोरवाल समाज के संघों से, प्रांतीय व्याख्याता संघ, राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद, संभागीय वरिष्ठ नागरिक संस्थान, कोटा के पेंशनर्स समाज आदि कई संस्थाओं से जुड़कर वरिष्ठ पदों पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। आपने राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के माध्यम से तीन व्यक्तियों के  किडनी ट्रांसप्लांट अहमदाबाद में तथा दो व्यक्तियों के ह्रदय के ऑपरेशन जयपुर और कोटा चिकित्सालयों में करवा का मानवता की मिसाल कायम की। जिला प्रौढ़ शिक्षण समिति के माध्यम से समाज सेवा के प्रकल्प चला रखे हैं।
सम्मान :
राज्य में साक्षरता अभियान में कोटा को प्रथम स्थान पर लाने वाले आर.पी.गुप्ता को  तत्कालीन राज्यपाल महोदय द्वारा" साक्षरता गौरव सम्मान" से सम्मानित किया गया।आपको "शिक्षा गौरव सम्मान" और "गुरू जन सम्मान" से भी नवाजा गया। वर्ष 1989-1994 परियोजना अधिकारी छबड़ा के रूप में परियोजना को राज्य में प्रथम स्थान पर रहने से  तत्कालीन मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया। इससे पूर्व गुप्ता को 6 जनवरी,1992 राज्य स्तरीय पुरस्कार के अंतर्गत 40 हज़ार रुपए का चैक सौंप कर परियोजना के अन्य 6 कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। आपको 15 अगस्त 1984 को जिला प्रशासन कोटा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विद्यालय केलवाड़ा के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया और केलवाड़ा में नागरिक अभिनंदन किया गया। आपको जिला प्रशासन बारां एवं भीलवाड़ा द्वारा भी सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश के टुंडला में आपको 2007 में " पोरवाल रत्न अलंकरण" से सम्मानित किया गया।  आपको  पोरवाल महासंघ के सर्वोच्च स्मृति पुरूस्कार वर्ष 2011 , हैदराबाद में 2018 में अन्तर्राष्ट्रीय जैन संगठन अध्यक्ष "श्री ए.के.जैन लौगपुरिया  अचीवमेन्ट अवार्ड" एवं सितंबर 2019 में लोकसभा अध्यक्ष एवं केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री द्वारा "शिक्षक सम्मान" से सम्मानित किया गया। इन प्रमुख पुरस्कार और सम्मान के अलावा समय - समय पर  रोटरी,इनरव्हील,लॉयन्स क्लब,,अल्प बचत विभाग ,परिवार कल्याण विभाग, रेसपा, केन्द्रीय विद्यालय, श्री कर्मयोगी सेवा संस्थान, ब्रह्मकुमारी विश्वविद्याल, चंबल फर्टिलाइजर, गाढ़ेपन, नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर  एवं इनकेे समकक्ष कई अन्य संस्थाओं द्वारा भी आपको पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया है।  परिचय :
शिक्षाविद् और समाज सेवी आर.पी.गुप्ता का जन्म 1जुलाई1943 को मध्यप्रदेश के जिला श्योपुर के ग्राम बेहडावद में पिता स्व.गोपी लाल एवं माता कस्तूरीबाई के परिवार में दूसरी संतान के रूप में हुआ। आप दो भाई और एक बहिन हैं। प्राम्भिक शिक्षा बेहडावद ग्राम से 24 किमी दूर कोटा जिले के इटावा में हुई। उस समय श्योपुर में शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी, जब गुप्ता सेवा निवृत हुए तब इस गांव में प्राथमिक विद्यालय खुला। इसके बाद माध्यमिक तक शिक्षा कोटा में हुई और आपने 12 वीं की इंटर परीक्षा रतलाम से उत्तीर्ण की। राजकीय महाविद्यालय कोटा से राजनीति विज्ञान एवं अंग्रेजी में तथा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। लखनऊ के आध्यात्म विश्वविद्यालय, नेमिशारन्य से हिंदी स्नातकोत्तर के समक्ष दिवाकर, राजस्थान विश्वविद्यालय से बी.एड.,दयानंद विश्विद्यालय अजमेर से एम.एड. तथा हैदराबाद से पीजीटीसीई की डिग्री प्राप्त की। इसी मध्य आपने प्राइवेट 10 वीं पास कर एक विद्यालय में शिक्षक के रूप में और आगे चल कर हितकारी श्रमजीवी कॉलेज में व्याख्याता और उपाचार्य के रूप में सेवाएं प्रदान की। आप 30 सितंबर 1972 को सरकारी सेवा में शिक्षा विभाग में कोटा ( वर्तमान बारां जिला ) के आटोन में वरिष्ठ अध्यापक नियुक्त हुए। आप की शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक, प्राचार्य, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी एवं उप निदेशक शिक्षा पदों पर पदोन्नतियां हुई और आपने 30 दिसंबर 2000 को स्वेच्छिक सेवा निवृति प्राप्त कर ली। आपने शिक्षा विभाग में जहाजपुर  (भीलवाड़ा जिला),राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गुमानपुरा, केलवाड़ा (उस समय कोटा जिला), 
विद्यालयों में विभिन्न पदों पर सेवाएं प्रदान की। इसके अतिरिक्त प्रतिनियुक्ति पर  महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी छबड़ा एवम् कोटा, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी कोटा, जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा अधिकारी कोटा के रूप में  सेवाएं प्रदान की। आपने जुलाई 1998 से स्वैच्छिक सेवा निवृति के पश्चात जनवरी 2001 में पूर्व से कार्य देख रहे भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन कोटा जन शिक्षण संस्थान में निदेशक पद पर ज्वॉइन किया। वर्तमान में आप जन शिक्षण संस्थान और पेत्रक संस्था
जिला प्रौढ़ शिक्षण समिति के चेयरमैन पद पर मानद सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और विभिन्न संस्थाओं में वरिष्ठ पदों पर समाज सेवा के विभिन्न प्रकल्पों से जुड़ कर समाज सेवा में अग्रसर हैं। कोटा पेंशनर्स समाज के महासचिव के रूप में पेंशनर्स की समस्यों के समाधान के लिए प्रतिदिन सांय काल दो घंटे पेंशनर्स कार्यालय में बैठते हैं और समय - समय पर निशुल्क चिकित्सा कैंपों का आयोजन करते हैं।


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