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“तुलसी व उनका साहित्य भारतीय जीवन पद्धति की आधारशिला” पर तुलसी विमर्श एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम

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05 Aug 22
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“तुलसी व उनका साहित्य भारतीय जीवन पद्धति की आधारशिला” पर तुलसी विमर्श एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम

आजादी का अमृत महोत्सव श्रंखला के अंतर्गत श्रावण शुक्ल सप्तमी तिथि 4 अगस्त गुरुवार को तुलसी जयंती के अवसर पर राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में “तुलसी व उनका साहित्य भारतीय जीवन पद्धति की आधारशिला”  थीम पर तुलसी विमर्श एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता संस्कृत विदुषी नमिता पारीक असिस्टेंट प्रोफेसर जवाहर लाल नेहरु शिक्षक प्रशिक्षण महाविधालय,अध्यक्षता रामचरितमानस के मर्मज्ञ विद्वान के.बी दीक्षित , मुख्य अतिथि राम शर्मा “कापरेन” , विशिष्ठ अतिथि सागर आजाद संस्थापक अध्यक्ष एनीकोड पब्लिशिंग हाउस एवं अनुज शर्मा वरिष्ठ प्रबंधक ए यु स्मॉल फाईनेंस बैंक एवं मनोहर पारीक वरिष्ठ पत्राकार रहे ।

उदघाटन सत्र मे मुख्य वक्ता नमिता पारीक बताया कि तुलसीदास जी न केवल भारत मे अपितु विदेशों मे भी पूजित है , विश्व की वह अनमोल धरोहर हैं जिन्होंने मानवता, समरसता तथा ममत्व की भावना को फैलाया। इसका परिणाम रहा कि आज विदेशों जैसे इंडोनेशिया, ब्रह्मदेश (म्यामांर), थाई देश, मलेशिया, बर्मा, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका, चीन, फिजी, मारीशस, गयाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, सूरीनाम, काम्बोज, जावा, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, अर्जेंटीना, मैक्सिको आदि में तुलसीदास देवता रूप में पूजित हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे के.बी दीक्षित श्रीराम चरितमानस लिखकर मानवता को एक सूत्र में पिरोया है। इसे पूर्णता देने के लिए उन्होंने काशी और गंगा के घाट को चुना। इसमें उन्होंने कष्ट भी उठाए, लेकिन ‘रामहिं केवल प्रेम पियारा’ की भावना के चलते कदम डिग न पाए। आज तुलसी व उनका साहित्य भारतीय जीवन पद्धति की आधारशिला है।

मुख्य अतिथि राम शर्मा “ कापरेन” ने कहा कि - तुलसी का मानस ‘भूतो न भविष्यति’ पंचम वेद-स्वरूप जीवन शास्त्र है। मानस विश्व-परिवार की आचार संहिता है। उनकी इस अनुभव गम्य प्रयोगशाला में श्रीरामानुभूति 'सत्यम-शिवम-सुंदरम एवं अमोघ' की अभिव्यक्ति है। 

विशिष्ठ अतिथि सागर आजाद संस्थापक अध्यक्ष एनीकोड पब्लिशिंग हाउस तुलसी सनातन भारतीय संस्कृति के व्यास तो हैं ही, शंकराचार्य स्तरीय संरक्षक व संप्रसारक भी हैं। वे भावनाओं और विचारों के ऐसे महासागर हैं कि समग्र और शाश्वत मानवीय भाव-विचार सरिताएं अंततः उनमें लीन हो जाती हैं। तुलसी प्रत्येक सदी के प्रधान पुरुष के रूप में प्रासंगिक हैं।

इस अवसर पर राधा गुप्ता , प्रियंका अग्रवाल , नेहा तंजीम सागर , अनामिका, आशा , आरती , देवेन्द्र बागडी , श्रीनाथ शर्मा,केतन लोधा , आकाश नागर , लखन मीणा , गजेन्द्र सैनी,नीतेश सोनी , राकेश कुमार , तरुण राजपुत , रजनीकांत शर्मा , श्रीनाथ शर्मा एवं दीपक कुमार सैनी समेत कई गणमान्य पाठक मौजु रहे । कार्यक्रम के अंत मे डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव मण्डल पुस्तकलयाध्यक्ष ने सभी आगंतुक महानुभावो का आभार व्यक्त किया ।   


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