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ताकि दिल धडकता रहे .........................

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08 Dec 18
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ताकि दिल धडकता रहे ......................... शरीर के सभी अंगों की तरह दिल भी कई कारणों से बीमार होता है। आम बोलचाल में दिल की बीमारियों को हृदय रोग कहा जाता है। इनमें कोरोनरी आर्टरी डिजिज, एंजाइना, दिल का दौरा आदि प्रमुख हैं।
कोरोनरी आर्टरी डिजिज
इसका सबसे खास लक्षण है एंजाइना या छाती में दर्द होना। एंजाइना को छाती में भारीपन, दबाव, असामान्यता, दर्द, जलन, ऐंठन या दर्द के अहसास के रूप में पहचाना जाता है। एंजाइना कंधे, बांहों, गर्दन, गला, जबडे या पीठ में भी महसूस की जा सकती है। इसमें छोटी-छोटी सांस आती है। इसके अन्य लक्षणों में धडकन का तेज होना, कमजोरी या चक्कर आना, उल्टी का मन करना तथा पसीना आना हो सकते हैं।
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक के दौरान लक्षण आमतौर पर आधा घंटे तक या इससे अधिक समय तक रहते हैं। लक्षणों की शुरूआत मामूली दर्द से लेकर गंभीर दर्द तक पहुंच सकती है। कुछ लोगों का हार्ट अटैक का कोई लक्षण सामने नहीं आता, जिसे हम साइलेंट मायोकार्डियल इंफेक्षन अर्थात एमआई कहते हैं। ऐसा उन लोगों में होता है, जो डायबिटिज से पीडत हैं। जिन लोगों को हार्ट अटैक की आशंका है, वे फौरन आपातकालीन मदद लें। इलाज जितना जल्द होगा, मरीज के ठीक होने की उतनी ही संभावना होगी।
हार्टवॉल संबंधी बीमारी के लक्षण
हार्टवॉल बीमारी के लक्षण हमेशा स्थिति की गंभीरता से संबंधित नहीं होते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई लक्षण सामने नहीं आता, जबकि व्यक्ति को हार्टवॉल की गंभीर बीमारी होती है, जिसमें फौरन इलाज की जरूरत होती है। पूरी सांस न आना, खास तौर से जब आप अपनी सामान्य नियमित दिनचर्या कर रहे हों या बिस्तर पर सीधे लेटे हों। कमजोरी या बेहोशी महसूस करना, सोने में असहजता महसूस होना। कुछ काम करते वक्त या ठंडी हवा में बाहर निकलने पर छाती पर दबाव या भारीपन महसूस होना। पल्पिटेशन अर्थात दिल की धडकनों के तेजी से चलने, अनियमित धडकन, धडकनों के चूकने आदि के रूप में महसूस हो सकता है।
दिल संबंधी जन्मजात दोश
ऐसे दोशों का जन्म से पहले, जन्म के फौरन बाद या बचपन में भी पता लगाया जा सकता है। कई बार बडे होने तक इसका पता नहीं चल पाता है। यह भी मुमकिन है कि समस्या का कोई लक्षण सामने नहीं आए। ऐसे मामलों में कई बार शारीरिक जांच में दिल की मंद ध्वनि से या चेस्ट एक्सरे से इसका पता लग जाता है। जिन व्यस्कों में जन्मजात दिल की बीमारी के लक्षण मौजूद होते हैं, उनमें देखा जाता है- जल्दी-जल्दी सांस लेना, शारीरिक व्यायाम करने की सीमित क्षमता, हार्ट फैलियर या वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। नवजात और बच्चों में जन्मजात हृदय संबंधी दोश साइनोसिस (त्वचा, उंगलियों के नाखूनों और होठों पर हल्का नीला रंग दिखाई देना), तेज सांस लेना और भूख में कमी। वजन ठीक न बढना। फेंफडों में बार-बार इंफेक्षन होना।
बदलें जीवनशैली
एक व्यक्ति को हृदय रोग कई कारणों से हो सकता है, जिसमें प्रमुख कारण है व्यक्ति की जीवनशैली। सम्पूर्ण विश्व में करीब १० लाख लोग दिल की समस्या से गंभीर रूप से ग्रस्त हैं और इनमें से ८५ प्रतिशत की मौत हो जाती है। शोध के मुताबिक कोरोनरी दिल की बीमारी मौत का बडा कारण बनती है। दिल की बीमारियों से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव कारगर साबित हो सकता है।
पसीना निकालें
व्यायाम फिट रहने का एक अच्छा उपाय है। अगर आप बहुत कठिन शारीरिक गतिविधियों के लिए अनुकूल नहीं हैं तो आप अपने भौतिक कार्यक्रमों में से ३० मिनट का समय निकालें और पसीना बहाने के लिए व्यायाम करें। आवश्यक नहीं है कि जिम में जाकर कठिन व्यायाम किया जाए। शुरू में व्यायाम हल्का-फुल्का करते हुए बढाएं।
धूम्रपान बंद करें
धूम्रपान हृदय रोग का एक अन्य कारण है, जिससे कैंसर भी हो सकता है। इसके लिए पूर्ण रूप से धूम्रपान छोडने की सलाह दी जाती है। धूम्रपान धमनियों को संकरा कर देता है, जो बदले में एथेरोक्लेरोसिस को जन्म देता है। शुरू में आदत को बदलने के लिए कम निकोटिन सिगरेट या ई-सिगरेट का प्रयोग कर सकते हैं। लंबे समय तक धूम्रपान का प्रयोग अत्यन्त हानिकारक है।
संतुलित वजन बनाए रखना
अगर आपका वजन सामान्य से अधिक है तो आफ वजन की समस्या के कारण कई घातक बीमारियां हो सकती हैं। एक अनुसंधान के मुताबिक यदि आपका वजन एक साल में एक किलो बढता है तो हृदय रोग का जोखिम भी साथ-साथ बढता है। अतः महत्वपूर्ण है कि नियमित आधार बीएमआई मापें और ऊंचाई के हिसाब से वजन को नियंत्रित कर फिट व स्वस्थ रहें।
नियमित स्वास्थ्य जांच
नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहना चाहिए। नियमित आधार पर अपने रक्त शर्करा के स्तर का परीक्षण कराकर उपचार लेना चाहिए। इससे हृदय रोग का जोखिम कम होने में मदद मिलेगी।
स्वस्थ खानपान अपनाएं
हममें से ज्यादातर लोग स्वास्थ्य के पीछे नहीं, स्वाद के पीछे भागते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर लोग दिल की बीमारी के शिकार बन जाते हैं। लोग स्नैक, जंक फूड, तले-भुने पदार्थ खाना ज्यादा पसंद करते हैं, जो सैच्युरेटेड वसा से युक्त होते हैं। ऐसे लोगों को इनका परित्याग कर स्वस्थ खानपान अपनाने की आवश्यकता है।

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