सिरोही। ज्ञान की देवी मॉ सरस्वती की आराधना के लिए आज पावापुरी तीर्थ में ज्ञान पंचमी को ज्ञान पूजन का लाभ बडी तादाद मे भक्तो ने लिया। पावापुरी में विराजित साध्वीजी रत्नमालाश्रीजी की निश्रा मे गुरू गौतम स्वामी का पूजन हुआ जिसमें महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी के विनय एवं विवेक गुणों पर प्रकाश डालते हुऐ साध्वीजी ने गौतम शब्द की व्याख्या की। साध्वीजी ने बताया कि गौतम स्वामी अपनी लब्धि से सुर्य की किरणों के सहारे अष्टापद पर्वत पर आकाश मार्ग से पहुंचे इस कारण सभी १५०० तापसो ने उनको अपना गुरू बनाने का निर्णय किया ओर गौतम स्वामी ने लब्धि से इन सभी को खीर का पारणा करवाया। गौतम स्वामी ने तीर्थ पर ‘‘ जगचिन्तामणी ‘‘ चैत्यवंदन सूत्र की रचना की ओर उन्होने सर्व प्रथम जैनम जयती शासनम् का उदघोष किया। गौतम स्वामी की आराधना व भक्ति करने वालो को मन वांचित फल मिलता हैं। इसलिए गौतम स्वामी को ‘‘ मनवांचित फलदातार ‘‘ कहा जाता ह। गौतम स्वामी अनेक गुणो के भण्डार थे। इस पूजन मे सबसे पहले महावीर स्वामी का पूजन होता है फिर गौतम स्वामी का ओर फिर उनके १० गणधर का पूजन होता हैं। सवेरे से दिन भर ज्ञान पूजन का तांता लगा रहा। आज हजारो भक्तों ने ज्ञान पूजन का लाभ लिया।