बाड़मेर। श्री नींबड़ी माताजी मंदिर चेरीटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में रड़वा गांव में स्थित नींबड़ी माताजी के मंदिर को नवरात्रि के पावन पर्व को लेकर विशेष सजावट की गई है। मंदिर प्रांगण व देवी की प्रतिमाओं की विशेष सजावट की गई है। नवरात्रि के पहले दिन रविवार को घट स्थापना की जाएगी। घट स्थापना के दौरान ट्रस्ट के अध्यक्ष ओमप्रकाश मेहता-सुशीला सपत्निक, पदाधिकारियों सहित विशेष पूजा अर्चना करेंगे।
ट्रस्ट के अध्यक्ष ओमप्रकाश मेहता ने बताया कि नवरात्रि का पावन पर्व रविवार से प्रारंभ होगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर मां दुर्गा के नव स्वरूपों का दर्शन कर पुण्य लाभ लें। उन्होंने बताया कि घट स्थापना का मुहूर्त रविवार सुबह 12 बजकर एक मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। घट स्थापना के दौरान ट्रस्ट के पदाधिकारियों सहित ग्रामीणजन उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि गरबा और आरती कर नवरात्रि मनाई जाएगी। व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी।
क्या है मान्यताः मान्यता है कि 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया। तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरूआत हुई। नवरात्रि की एक कथा प्रभु श्रीराम से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने और रावण पर विजय पाने के लिए श्रीराम ने भी दुर्गा का अनुष्ठान किया।
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में मां की आराधना करते है। हमारी चेतना के अंदर संतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते है, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नाम का एक दैत्य था। ब्रह्माजी से अमर होने का वरदान पाकर वह देवताओं को सताने लगा था। महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। इसके बाद तीनों देवताआंे ने आदि शक्ति का आह्वान किया। भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं के मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। अन्य देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इसके बाद देवताओं से शक्तियां पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध शुरू हुआ, जो 9 दिनों तक चला। फिर दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया, तब से ही नवरात्रि पर्व मनाने की शुरूआत हुई। नवरात्रि की एक कथा प्रभु श्रीराम से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने और रावण पर विजय पाने के लिए श्री राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया। ये अनुष्ठान लगातार 9 दिन तक चला। अंतिम दिन देवी ने प्रकट होकर श्रीराम को विजय का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन श्रीराम ने रावण का वध कर दिया। प्रभु श्रीराम ने अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक देवी की साधना कर दसवें दिन रावण का वध किया था। तभी से हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।