उदयपुर राष्ट्रीय पोषण माह अभियान के तहत यूनिवर्सिटी कम्युनिटी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में डॉ.आर.एल.सुमन ने बताया यह जीवन के पहले 1000 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय बच्चे का शारीरिक, मानसिक विकास हो रहा होता है और बच्चा हमारा भविष्य है। यदि इस समय किसी भी तरह की खासकर पोषण संबंधी यदि कमी पाई जाती है तो बच्चे में विकार पैदा हो सकता है, बच्चा कमजोर पैदा हो सकता है, बच्चे में बीमारी की गंभीरता अधिक हो सकती है एवं परमानेंट मानसिक कमजोरी रह सकती है। यही नहीं वयस्क अवस्था में होने वाली लाइफस्टाइल डिजीज, डायबिटीज, हाइपरटेंशन भी अधिक हो जाता है। यदि इस समय बच्चे का ध्यान दिया जाए तो मां एवं बच्चे का कुपोषण दूर किया जा सकता है।
1000 दिन सबसे महत्वपूर्ण
अधीक्षक डॉ सुमन ने बताया कि गर्भावस्था के 270 दिन एवं प्रथम 2 साल के 730 दिन यानी कि कुल 1000 दिन यदि मां और बच्चे पर पूरा ध्यान दिया जाए तो इन सब तकलीफों बीमारियों से बचा जा सकता है। भारत में राष्ट्रीय पोषण माह पिछले 5 साल से पोषण पर सामाजिक जागरूकता के तहत सितंबर माह में आयोजित किया जाता है जिसके तहत आज यूनिवर्सिटी में कम्युनिटी साइंस कॉलेज में यह प्रोग्राम आयोजित किया गया।
समाज में लाएं जागरूकता
मुख्य वक्ता अधीक्षक डॉ. सुमन थे एवं विभागाध्यक्ष विशाखा सिंह ने बच्चों को यूजी पीजी पीएचडी स्टूडेंट्स सभी को इस विषय पर समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रेरित किया एवं बताया कि यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलर द्वारा हर साल पोषण के ऊपर बहुत सारी रिसर्च की जाती है एवं रिसेपीज तैयार की जाती है। आने वाले दिनों में आदिवासी क्षेत्र में इंस्टेंट मिक्स की रेसिपी को समाज में लेकर आने का आह्वान किया। कार्यक्रम में यूजी, पीजी, पीएचडी स्कॉलर फैकेल्टी मेंबर्स पायल, अनुराधा, ज्योति खुशबू एवं आरसीओई की टीम श्री कुमारी शीला रामेश्वर बीएस यादव सुषमा डांगी एवं नरेंद्र सभी की मौजूदगी रही।