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डिवाइस क्लोजर से हार्ट फेल्योर मरीज का उपचार 

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20 Jul 22
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डिवाइस क्लोजर से हार्ट फेल्योर मरीज का उपचार 

उदयपुर। हार्ट फेल्योर मरीज का जीबीएच अमेरिकन हॉस्पीटल में अत्याधुनिक डिवाइस क्लोजर लगाकर जान बचाई गई। इस तकनीक से दक्षिणी राजस्थान में पहली बार ह्दय रोगी का उपचार किया गया जबकि ऐसे मरीज की हार्ट सर्जरी ही विकल्प होता है।
भीलवाडा निवासी ४१ वर्षीय रोगी को पिछले दिनों परिजन यहां इमरजेंसी में लेकर पहुंचे थे। उन्हें श्वास लेने में तकलीफ हो रही थी। मरीज की ईको करने के बाद इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हितेश यादव ने मरीज की कैथ स्टडी तैयार की जिसमें पाया गया कि रोगी के बाएं ह्दय ( एरोटा ) से दाएं ह्दय ( आरए ) में रक्त का बहाव हो रहा था। इसे आम भाषा में दिल में छेद ( आरएसओवी ) कहा जाता है। इसकी वजह से रोगी हार्ट फेल्योर था। इस तरह की दिक्कत काफी दुर्लभ होती है, जिसमें श्वास लेने में तकलीफ होती है। इसका सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज की जान को भी खतरा रहता है। इसमें हार्ट सर्जरी विकल्प रहता है, लेकिन कैथ स्टडी के बाद रोगी अत्याधुनिक डिवाइस क्लोजर के लिए उपयुक्त पाए गए। इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एसके कौशिक और डॉ. हितेश यादव की टीम ने मरीज के पैर की नाडी से ह्दय तक डिवाइस पहुंचाकर दिल में छेद बंद किया गया। इससे एरोटा से आरए तक हो रहा रक्तस्त्राव भी सफलतापूर्वक बंद हो गया था। इस तकनीक को डिवाइस क्लोजर कहा जाता है जिससे इलाज के बाद मरीज को तुरंत आराम आ गया। 
डॉ. हितेश यादव ने बताया कि इस तरह की दुर्लभ बीमारी कम ही लोगों को होती है। यह बीमारी जन्म से होती है, जिसमें मरीज के दिल की दीवार कमजोर होती है। यह कभी भी अचानक फट सकती है। ऐसा ही इन मरीज में हुआ और उसके बाद उन्हें श्वास लेने में तकलीफ होने लगी। इसमें डिवाइस क्लोजर तकनीक से उपचार दक्षिणी राजस्थान में पहली बार किया गया है। 


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