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धरोहर से नवाचार तक: बांसवाड़ा में चिकित्सा विज्ञान का ऐतिहासिक संगम

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13 Jul 25
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धरोहर से नवाचार तक: बांसवाड़ा में चिकित्सा विज्ञान का ऐतिहासिक संगम

बांसवाड़ा, IMA बांसवाड़ा द्वारा आयोजित ‘गैस्ट्रोएंटरोलॉजी अपडेट’ कार्यक्रम चिकित्सा जगत के लिए एक ऐसा क्षण बना जब अतीत की स्मृति और भविष्य की दिशा एक ही मंच पर आ खड़ी हुईं। इस गरिमामयी अवसर पर न केवल आधुनिक सर्जरी की नवीनतम तकनीकों पर गहन संवाद हुआ, बल्कि वागड़ अंचल की उन पुरानी चिकित्सकीय विभूतियों को भी श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया, जिनकी सेवा आज भी पीढ़ियों को प्रेरणा देती है।

 

कार्यक्रम की शुरुआत त्रिपुरा सुंदरी की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलन और महान सर्जन डॉक्टर विधान चंद्र रॉय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई। इसके पश्चात IMA अध्यक्ष डॉ. मुनव्वर हुसैन ने स्वागत उद्बोधन में कार्यक्रम की भूमिका स्पष्ट करते हुए बताया कि यह केवल एक चिकित्सा विषयक संगोष्ठी नहीं, बल्कि चिकित्सा की विरासत और भविष्य दोनों का सेतु है। उन्होंने यह भी बताया कि इस आयोजन में पहली बार बांसवाड़ा के 19वीं और 20वीं सदी के उन चिकित्सकों पर आधारित स्मारिका प्रकाशित की जा रही है, जिनकी सेवा-साधना अब तक केवल लोक-स्मृतियों में जीवित थी।

 

गैस्ट्रो सर्जरी की नवीनतम तकनीकों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अतुल जे. शाह ने हर्निया व बेरियाट्रिक सर्जरी के क्षेत्र में आई क्रांतिकारी प्रगति साझा की, तो वहीं डॉ. अवध पटेल ने रोबोटिक कोलोरेक्टल सर्जरी के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी नवाचारों को विस्तार से बताया। दोनों विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि कैसे इन विधाओं से न केवल शारीरिक उपचार संभव होता है, बल्कि रोगियों में आत्मबल, शीघ्र रिकवरी और बेहतर जीवनशैली भी सुनिश्चित होती है।

 

कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सकों के लिए यह सत्र एक अद्भुत प्रेरणा का स्रोत बना, जहाँ उन्हें महानगरों की अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से प्रत्यक्ष जुड़ने का अवसर मिला।

 

कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा — "IMA स्मारिका" का विमोचन। इसका लोकार्पण CMHO डॉ. खुशपाल सिंह राठौड़, PMO डॉ. दिनेश माहेश्वरी, डॉ. अतुल शाह, डॉ. अवध पटेल, IMA अध्यक्ष डॉ. मुनव्वर हुसैन, सचिव डॉ. डी.के. गोयल, कोषाध्यक्ष डॉ. कृष्णा दोसी, डॉ. युधिष्ठिर त्रिवेदी, डॉ. बी.आर. व्यास, डॉ. दीपक पंकज, डॉ. नवरत्न जैन तथा बांसवाड़ा के अनेक वरिष्ठ चिकित्सकों की उपस्थिति में हुआ। डॉ. नवरत्न जैन ने अपने वक्तव्य में इस स्मारिका को "अतीत के आंगन में फिर से लौटने वाला एक तीर्थ" बताया और कहा कि IMA अब एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है, जिसकी हर शाखा एक सेवाभावी चिकित्सक है।

 

डॉ. युधिष्ठिर त्रिवेदी ने पूरे कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए मंच पर प्रदर्शित स्मारिका-चित्रों की विशेषताओं को वर्णन के साथ साझा किया। उन्होंने डॉक्टर के.जी. टाली, डॉक्टर झाला, डॉक्टर नारायण चंद्र मुखर्जी, डॉक्टर इच्छाशंकर भट्ट, डॉक्टर जे.एस. भटनागर, डॉक्टर पंकज और डॉक्टर प्राणशंकर द्विवेदी — इन सात विभूतियों के जीवन, योगदान और आदर्शों को सहज लेकिन सारगर्भित रूप में प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया।

 

कार्यक्रम का वातावरण उस समय और भी भावुक हो उठा जब मंच पर उपस्थित डॉ. अजीत कोठारी, डॉ. अनिल जी भाटी, डॉ. राजेश जी चौधरी,डॉ. दिव्या पाठक, डॉ. कीर्तिश जैन, डॉ. हरीश लालवानी, डॉ. चेतना मेहता, डॉ. विनोद यादव, डॉ. गणेश मईड़ा, डॉ. नलिनी पंकज, डॉ. नरेंद्र कोहली, डॉ. हितेन व्यास, डॉ. प्रद्युम्न जैन और डॉ. नासिर हुसैन ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े अपने अनुभव, विचार और प्रेरणाएं साझा कीं, बल्कि स्मारिका में वर्णित इन सातों चिकित्सकों के परिजनों का मंच पर सादर सम्मान भी किया। सभी ने यह अनुभव साझा किया कि इन विभूतियों की स्मृति में सहेजे गए आदर्श आज भी चिकित्सा सेवा में कार्यरत पीढ़ियों को अपना उत्तरदायित्व निभाने की प्रेरणा देते हैं।

 

कार्यक्रम के अंत में डॉ. डी.के. गोयल ने IMA की ओर से सभी आगंतुकों, चिकित्सकों और विशिष्ट अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल ज्ञानवर्धन नहीं, बल्कि चिकित्सा संस्कृति का उत्सव था। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहलें बांसवाड़ा को चिकित्सा क्षेत्र में न केवल तकनीकी रूप से समृद्ध करती हैं, बल्कि उसे अपनी जड़ों से भी जोड़ती हैं।

 

इस आयोजन में चिकित्सकों के परिवार भी विशेष रूप से आमंत्रित थे, जिससे यह कार्यक्रम एक पारिवारिक चिकित्सा उत्सव के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना गया।

 

IMA बांसवाड़ा की यह पहल निश्चित ही चिकित्सा विज्ञान, सांस्कृतिक चेतना और ऐतिहासिक स्मृति को एकत्र कर एक नई दिशा देने वाली सिद्ध होगी।

 


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