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सर्दियों में घुटनों के दर्द को कहें अलविदा सुझाव

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01 Jan 18
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आमतौर पर देखा गया है कि जैसे-जैसे तापमान नीचे जाने लगता है वैसे-वैसे घुटने के दर्द से पीड़ित लोगों को ज्यादा तकलीफ होने लगती है। लेकिन इस दर्द पर हम काफी हद तक नियंतण्रपा सकते हैं। ठंड में रहन सहन में थोड़ा बदलाव लाकर इससे छुटकारा पा सकते हैं।जिन लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या होती है, उनसे अक्सर हम सुनते हैं कि सर्दियों में जोड़ों का दर्द ज्यादा बढ़ गया है। कई बार तो हम उनके इस दर्द को वहम मानकर नजरअंदाज भी कर देते है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर वह दर्द बढ़ने की शिकायत करते हैं, तो वह गलत नहीं है। अब कई वैज्ञानिक अध्ययनों से साबित हो चुका है कि ठंड बढ़ने से रोगियों के जोड़ों का दर्द भी बढ़ जाता है और इसका कारण है बैरोमैट्रिक प्रेशर यानि कि वायुमंडलीय दबाव। दरअसल हवा का अपना भार होता है जिसे गुरुत्वाकर्षण(ग्रेवटी) अपनी ओर खींचती है। इससे हमारे आसपास के वातावरण में दबाव बन जाता है। ठंड में इस प्रेशर की वजह से ओस्टियोआर्राइटिस के रोगी बहुत ज्यादा दर्द झेलते हैं। बैरोमैट्रिक प्रेशर कैसे रोगियों में दर्द बढ़ाता है, इस बारे में विस्तार से बताते हुए नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स स्मार्ट अस्पताल के ओर्थोपेडिक्स व जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के डॉयरेक्टर डॉ. रमनीक महाजन कहते है, ‘‘दरअसल वातावरण का भार हमारे शरीर पर भी दबाव डालता है, इससे हमारे शरीर की मांसपेशियों के टिशू फैलते नहीं है। लेकिन सर्दियों में तापमान कम होने के साथ बैरोमैट्रिक प्रेशर भी कम हो जाता है, इससे शरीर के टिशू फैल जाते हैं और मांसपेशियों अकड़ जाती हैं। जब जोड़ों के आसपास की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं तो घुटनों में सूजन और दर्द महसूस होता है। जो मरीज पहले से ही दर्द झेल रहे हैं, वे इस मौसम में ज्यादा दिक्कत अनुभव करते है।’वातावरण में हो रहे इन बदलावों को बदलना तो मुमकिन नहीं है किंतु आर्राइटिस रोगी दर्द को कम कर सकते हैं। इस बारे में डॉ. रमनीक महाजन कहते है, ‘‘सर्दियों में अक्सर लोग रजाई में बैठना और घर के अंदर रहना पसंद करते हैं। एक ही जगह काफी देर तक बैठे रहने और व्यायाम न करने से जोड़ों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इसकी वजह से घुटनों में दर्द या अकड़न बढ़ जाती है। इसलिए ठंड में भी आर्राइटिस मरीजों को कुछ न कुछ काम करते रहना चाहिए ताकि जोड़ों में सही तरीके से रक्त का प्रवाह हो सके। सैर करना ऐसे मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद रहता है।’ जिन आर्राइटिस रोगियों को दवाई, कसरत या फिजियोथेरेपी से आराम नहीं मिलता, ऐसे गंभीर आर्राइटिस मरीजों के लिए रोजाना के काम करना तक दूभर हो जाता है। ऐसे में टोटल नी रिप्लेसमेंट कराने की सलाह दी जाती है। हालांकि टी के आर के बाद आर्राइटिस रोगियों को दर्द से राहत मिलती है लेकिन सर्दियों में घुटनों के दर्द से बचने के लिए उन्हें एहतियात बरतनी चाहिए क्योंकि ठंड में कृत्रिम जोड़ के आसपास की मांसपेशियों में अकड़न आ सकती है। इसलिए ठंड में लोग छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर सर्दियों में ज्यादा तकलीफ देने वाले दर्द को कम कर सकते है।


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