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एक दिव्यांग के खड़े होने का मतलब परिवार का खड़ा होना 

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06 Jul 25
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एक दिव्यांग के खड़े होने का मतलब परिवार का खड़ा होना 

उदयपुर,  नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में रविवार को सेवामहातीर्थ लियों का गुड़ा में आत्मीय स्नेह मिलन सम्पन्न हुआ। जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के संस्थान सहयोगियों व शाखा संयोजकों ने भाग लिया। दीप प्रज्वलन के साथ उद्‌घाटन संस्थापक पद्‌मश्री कैलाश ' मानव' ने किया। विशिष्ट अतिथि भूपेंद्र पटेल अहमदाबाद, नंद किशोर गोयल पाली व मुम्बई के आदाराम भाटिया थे।

अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने संस्थान की 40 वर्ष की सेवा यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि करीब 5 लाख दिव्यांगजन नि:शुल्क सर्जरी एवं कृत्रिम अंग के सहारे खड़े होकर आत्मनिर्भर बनकर अपनी गृहस्थी चला रहे हैं। बावजूद इसके अब भी बड़ी संख्या में दिव्यांगजन प्रतीक्षारत हैं, जिनकी सर्जरी होनी है। सम्मेलन में मध्यप्रदेश के सागर में रहने वाले दिव्यांग देवेंद्र कुमार ने बताया कि संस्थान ने उसे न केवल ऑपरेशन के माध्यम से उसके पैरों को ताकत दी बल्कि उसे रोजगार से जोड़कर उसके परिवार को सम्बल प्रदान किया। रामनगर, उत्तराखंड की निकिता ने बताया कि वह जन्मजात पोलियो ग्रस्त है। घिसटकर चलती थी। लेकिन संस्थान ने उसे सर्जरी व कैलिपर्स के सहारे खड़ा किया और आगामी अगस्त में संस्थान के माध्यम से ही उसका विवाह भी सम्पन्न होने वाला है।

सम्मेलन में संस्थापक कैलाश 'मानव', अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवल व पलक अग्रवाल ने भामाशाहों को शॉल, उपरना व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

संस्थान ट्रस्टी - निदेशक देवेन्द्र चौबीसा ने आभार व्यक्त किया जबकि महिम जैन ने संयोजन किया।


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