गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में तय समय से एक सप्ताह पहले मानसून की दमदार एंट्री ने हर किसी के चेहरे पर खुशिया ला दी है। वागड़ और हाड़ोती संभाग से मानसून की दस्तक हुई और फिर देखते ही देखते पूर्वी राजस्थान के अधिकांश जिले भी वर्षा से तरबतर हो गए। मानसून की दस्तक से जहां आमजन को गर्मी से राहत मिली है,वहीं किसानों के चेहरो पर खुशिया छा गई है और बिजली एवं पेयजल की समस्या से जुझ रही सरकार ने भी काफी हद तक राहत पाई है। मानसून से मुस्कराई मरुधरा में खुशियों की बौछार के साथ ही पर्यटन को उम्मीदों के नए पँख लग गए है।
एक सप्ताह पहले की बात है जब राजस्थान में गर्मी से लोगों का हाल बेहाल था। आसमान से आग बरस रही थी। प्रदेश के विभिन्न इलाकों में तापमान 45 से 49 डिग्री के बीच बना हुआ था। सबको सिर्फ एक ही बात का इंतजार था कि मानसून कब आएगा? लेकिन अब वो इंतजार खत्म हो चुका है क्योकि प्रदेश में मानसून की दस्तक हो गई है। दस्तक भी ऐसी की 10 घंटे के भीतर ही मानसून ने आधे प्रदेश को कवर कर लिया है। मानसून की दस्तक के साथ ही उदयपुर और कोटा संभाग में झमाझम बारिश का दौर शुरू हुआ। जहां मानसून की दस्तक से पहले ही प्री मानसून की बारिश ने तापमान को 10 डिग्री तक गिरा दिया है वही अब 20 जून के बाद मानसून की बारिश शुरू होते ही तापमान में और गिरावट देखने को मिलेगी।
राज्य के बाड़मेर, जोधपुर, जयपुर से होकर
गुजरात के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र से राजस्थान के मध्य व उत्तरी क्षेत्रों में तेजी से मानसून आगे बढ़ेगा
मानसनू की दस्तक के साथ शुरू हुई भारी बारिश
अगले एक दो दिनों में उदयपुर, कोटा संभाग में कहीं-कहीं भारी एवं कहीं-कहीं अति भारी बारिश होने की संभावना को बढ़ाएगी। राज्य के जयपुर, अजमेर व भरतपुर संभाग में भी में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं पूर्वी राजस्थान में 21 से 23 जून के दौरान बारिश में ज्यादा बढ़ोतरी होने एवं इस दौरान कोटा, भरतपुर संभाग में कहीं-कहीं भारी व अतिभारी बारिश होने की संभावना है
राजस्थान में मानसून की दस्तक ने एक तरफ जहां आमजन को भीषण गर्मी से बड़ी राहत दी, तो वहीं दूसरी रिकॉर्ड तोड़ती बिजली की मांग से चिंतित राजस्थान डिस्कॉम प्रशासन की टेंशन भी दूर कर दी है। प्रदेश के कमोबेश सभी जिलों में पहले प्री मानसून और अब मानसून की झमाझम बरसात से बिजली की मांग एक सप्ताह में 800 लाख यूनिट तक कम हुई है। डिस्कॉम प्रशासन की माने तो गर्मी के तेवरों के बीच 12 जून को एक दिन में सर्वाधिक 3877.60 लाख यूनिट की आपूर्ति की गई। लेकिन इसके बाद शुरू हुई बरसात के चलते लगातार बिजली की मांग में कमी देखी जा रही है।
प्री-मानसून और मानसून के समय पर्यटन को भी उम्मीदों के पँख लगे है। राजस्थान के पर्यटन स्थलों की सैर करने वाले पर्यटक राजस्थान के पर्यटन स्थलों की ओर बढ़ रहे है तथा प्रदेश की सुहावनी वादियों के दीवाने बन रहे है।
गर्मी और प्री-मानसून के बीच लोग चाहते हैं कि वे सुहावने मौसम का मजा जरूर लें। ऐसी जगह घूमने जाएं, जहां मानसून का असली मजा देखने को मिल सके। राजस्थान में कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहां मानसून के समय वहां का मौसम अत्यधिक सुहावना हो जाता है। ऐसे में पर्यटक राजस्थान की कुछ खूबसूरत जगहों पर जाकर मन को आनंदित करते है। इन जगहों पर जाने को उनका मन बेताब हो रहा है।
प्री-मानसून की बारिश शुरू होते ही राजस्थान के तीर्थराज पुष्कर में स्थित अरावली की पहाड़ियां खुशनुमा हो जाती हैं। पुष्कर के कुंड में बरसात का पानी जमा होता है, जो बेहद खूबसूरत लगता है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में जो स्नान कर लेता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है। पुष्कर में सैलानी रंगजी का मंदिर, कैमल सफारी, पुष्कर झील, भगवान ब्रह्मा मंदिर, सावित्री मंदिर और सनसेट प्वाइंट आदि देख सकते हैं।राजस्थान के नेशनल हाइवे पुष्कर से जुड़े हुए हैं। पुष्कर रेल टर्मिनस, अजमेर रेलवे स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर है। सबसे करीब एयरपोर्ट जयपुर है, जो 146 किलोमीटर की दूरी पर है।
प्री-मानसून के समय गुजरात और राजस्थान का सांझा हिल स्टेशन माउंट आबू पर्यटकों की पहली पसंदीदा जगहों में से एक है। यह शहर अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां मौजूद नक्की झील अपने नीले पानी और साफ-सुथरे वातावरण को लेकर मानसून को और अधिक सुनहरा बना देती है। माउंट आबू उदयपुर एयरपोर्ट से 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आबू रोड सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है, जो शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माउंट आबू हिल स्टेशन दिल्ली, उदयपुर और जयपुर से होकर आने वाली हाइवे से जुड़ा हुआ है।
माउंट आबू के अलावा अरावली पर्वतों की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर पर भी घूमा जा सकता है। इस शिखर पर आपको एक सफेद मंदिर दिखाई देगा, जिसमें भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है। यहां अचलगढ़ का किला, ट्रेवर टैंक, क्रोकोडाइल पार्क, गोमुख मंदिर, टॉड रॉक व्यू पॉइंट, माउंट आबू अभयारण्य और दिलवाड़ा जैन मंदिर आदि हैं।माउंट आबू उदयपुर एयरपोर्ट से 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माउंट आबू सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है, जो शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माउंट आबू हिल स्टेशन दिल्ली, उदयपुर और जयपुर से होकर आने वाली हाइवे से जुड़ा हुआ है।
पिंक सिटी जयपुर और इन दिनों मोस्ट हैपनिंग स्पेस बना कोटा के निकट स्थित बूंदी में भीमताल झरना देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। बारिश के समय यहां का नजारा बेहद खूबसूरत लगता है। वहीं, तारागढ़ का किला आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। पहाड़ियों और नदियों से घिरा बूंदी में मानसून का मौसम मोर और इंद्रधनुष का होता है। खूबसूरत बावड़ियों से युक्त बूंदी, जैत सागर, नवल सागर और दुगारी की खूबसूरत झीलों से भी घिरा हुआ है। यहां आप बूंदी पैलेस, क्षार बाग, रानीजी की बावड़ी, 84 खंभों वाली समाधि, जैत सागर झील, नवल सागर झील, दभाई कुंड और गढ़ पैलेस भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको दिल्ली, अजमेर और जयपुर समेत कई अन्य शहरों से रोजाना बसें चलती हैं। यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है, जो करीब 208 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
दक्षिणी राजस्थान में झीलों की नगरी उदयपुर में पर्यटक झीलों में बोटिंग के लिए आते हैं। यहां आप पिछोला झील के पास सिटी पैलेस और झील के बीचों-बीच स्थित लेक पैलेस हैं। यहां ताज का फाइव स्टार होटल है। उदयपुर में जगदीश मंदिर, फतेहसागर झील, सहेलियों की बाड़ी और सुखाड़िया सर्किल तथा सज्जनगढ़, उदय सागर एवं जयसमंद झील आदि घूमने लायक जगहें हैं। साथ ही नाथद्वारा और कांकरोली के मंदिर,राजसमंद झील आदि भी सैलानियों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते है।
उदयपुर पहुंचने के लिए दिल्ली और राजस्थान के शहरों से रेल और सड़क मार्ग से आसानी से जाया जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा शहर के केंद्र से 25 किमी दूर है, यहां दिल्ली और मुंबई से फ्लाइटें आती हैं। राजसमंद पाली मार्ग पर गौराण घाट और आसपास की वाडिया देसूरी की नाल आदि नयनाभिराम अंचल है।
उदयपुर से जुड़े वागड़ अंचल में ‘सौ द्वीपों का शहर’ और राजस्थान की चेरापूंजी कहा जाने वाला बांसवाड़ा घूमने के लिए बेहद शानदार जगह है। यहां झील, हरी-भरी हरियाली और पहाड़ देखने लायक हैं। नदी पर बना विशाल माही बांध मानसून के दौरान बहुत ही आकर्षक लगता है। पहाड़ी के नीचे एक गहरी गुफा और रामकुंड चिलचिलाती गर्मी से बचने का एक आकर्षक जगह है। यहां आकर पर्यटक आनंद सागर झील, माही बांध, रामकुंड, विठल देव मंदिर, डायलाब झील और तलवाडा एवं त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर में दर्शन करते हैं। बांसवाड़ा पहुंचने के लिए उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट 185 किलोमीटर दूर है। यहां आने के लिए दिल्ली, जयपुर और गांधीनगर,इंदौर भोपाल रतलाम आदि से बसें चलती हैं। सबसे करीबी रेलवे स्टेशन रतलाम 85 किमी दूर है, जो मध्यप्रदेश में स्थित है।
पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर और जैसलमेर बीकानेर भी मानसून में सुहाने हो जाते है।