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हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु: शती समारोह का शुभारंभ आज से, राष्ट्र चेतना यज्ञ से होगी शुरुआत

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18 Jun 25
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हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु: शती समारोह का शुभारंभ आज से, राष्ट्र चेतना यज्ञ से होगी शुरुआत

उदयपुर, प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ के तत्वावधान में हल्दीघाटी युद्ध के 450 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु: शती समारोह का शुभारंभ बुधवार 18 जून से होगा। इस समारोह की शुरुआत हल्दीघाटी की पुण्यभूमि पर राष्ट्र चेतना यज्ञ से होगी, जो प्रातः 8 बजे प्रारंभ होगा। इस अवसर पर वेदमंत्रों की गूंज और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ कार्यक्रम की पवित्र शुरुआत की जाएगी। समारोह के तहत वर्षभर देशभर में आयोजन होंगे और प्रथम सोपान 18 से 25 जून तक चलेगा।

प्रमुख आयोजन और यज्ञ

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया कि यह आयोजन हल्दीघाटी युद्ध (1576) के 450वें वर्ष की स्मृति में हो रहा है। यह केवल एक ऐतिहासिक समारोह नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, आत्मबलिदान और राष्ट्रप्रेम की चेतना को पुनः जागृत करने का प्रयास है।

यज्ञ में सांसद डॉ. मन्नालाल रावत मुख्य यजमान होंगे। उनके साथ उदयलाल लोहार, तनसुख सोनी, हिम्मत सिंह, बंशीलाल खटीक, संजय कावड़िया, नारायण गमेती, अजय तिवारी, दीपक शर्मा, शंभू गमेती व राजकुमार फत्तावत यजमान के रूप में शामिल होंगे। यज्ञ की पूर्णाहुति दोपहर 12:15 बजे होगी, जिसके बाद उद्बोधन व महाप्रसादी का आयोजन होगा।

विजय संदेश यात्रा

समारोह संयोजक सीए महावीर चपलोत ने बताया कि हल्दीघाटी विजय संदेश यात्रा का शुभारंभ दोपहर 2 बजे होगा। इसमें भगवान एकलिंगनाथ की झांकी, हल्दीघाटी की माटी व विजय ध्वज शामिल रहेंगे। यात्रा हल्दीघाटी से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख स्थानों से होती हुई रात 8:15 बजे प्रताप गौरव केंद्र पहुंचेगी।

इस यात्रा का हर पड़ाव पर भव्य स्वागत किया जाएगा। जगदीश चौक पर भगवान एकलिंगनाथ की आरती और आतिशबाजी के आयोजन भी होंगे। यात्रा के अंत में हल्दीघाटी की माटी का कलश व विजय ध्वज को प्रताप गौरव केन्द्र में स्थापित किया जाएगा।

विशेष छूट और सांस्कृतिक गतिविधियाँ

प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि प्रथम सोपान (18 से 25 जून) के दौरान केन्द्र में प्रवेश शुल्क केवल ₹50 रहेगा। इसी तरह 'मेवाड़ की शौर्यगाथा' वाटर लेजर शो का शुल्क भी ₹50 रखा गया है।

चित्रकला कार्यशाला — पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र व संस्कार भारती के सहयोग से 25 चित्रकार मेवाड़ी चित्रशैली में महाराणा प्रताप का जीवन, युद्ध व लोकजीवन को कैनवास पर उकेरेंगे।

प्राचीन लिपि कार्यशाला — ICHR व राजस्थान विद्यापीठ के सहयोग से ब्राह्मी लिपि पर सात दिवसीय कार्यशाला भी शुरू होगी जिसमें प्रतिभागियों को अशोककालीन लिपियों का अध्ययन कराया जाएगा।

देशभर में आयोजन और समापन

समिति के महामंत्री पवन शर्मा ने बताया कि समारोह पूरे वर्ष चलेगा और हर राज्य व राजस्थान के प्रत्येक जिले में संगोष्ठियाँ, चित्रकला, रंगोली, भाषण व आशुभाषण प्रतियोगिताएँ आयोजित होंगी। इस क्रम में दिवेर विजय महोत्सव भी समारोह का हिस्सा रहेगा। समारोह का भव्य समापन 18 जून 2026 को होगा।

प्रेसवार्ता में समारोह से संबंधित वन-वे विजन पोस्टर का भी विमोचन किया गया।

 


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