उदयपुर, डूंगरपुर जिले में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक को लेकर प्रशासनिक स्तर पर हुई जल्दबाजी पर सांसद मन्नालाल रावत ने कड़ी आपत्ति जताई। केवल दो दिन के नोटिस पर आहूत की गई इस बैठक को सांसद की नाराजगी के बाद कलेक्टर डूंगरपुर द्वारा निरस्त कर दिया गया।
दरअसल, उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत डूंगरपुर जिले की 'दिशा' समिति में सह-अध्यक्ष के रूप में नामित हैं। इस समिति की बैठकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देश हैं, जिनके अनुसार बैठक का नोटिस कम से कम 15 दिन पूर्व और कार्यसूची 10 दिन पूर्व सदस्यों को भेजी जानी चाहिए।
लेकिन कलेक्टर डूंगरपुर ने बाप के विधायक व सांसद राजकुमार रोत के दबाव में आकर 18 जून को बैठक निर्धारित कर दी और सूचना मात्र 16 जून को जारी की गई। इस नियमविरुद्ध कदम पर सांसद डॉ. रावत ने आपत्ति जताई और कहा कि "नियम सबके लिए समान हैं, व्यक्ति कोई भी बड़ा नहीं होता।"
बैठक का दबाव में आयोजन स्वीकार्य नहीं — सांसद रावत ने कहा कि प्रशासनिक कार्यवाही में पारदर्शिता और नियमों का पालन आवश्यक है। उन्होंने दो टूक कहा कि वे इस मामले की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से करेंगे ताकि आगे इस तरह की अव्यवस्था को रोका जा सके।
कलेक्टर ने माना नियमों का उल्लंघन, बैठक निरस्त — सांसद की आपत्ति और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी को देखते हुए कलेक्टर डूंगरपुर ने उक्त बैठक को स्थगित कर दिया और स्पष्ट किया कि अब आगामी बैठक केवल 15 दिन के पूर्व सूचना के साथ ही आयोजित की जाएगी।
यह प्रकरण न केवल प्रशासनिक नियमों की अनदेखी, बल्कि जनप्रतिनिधियों की भूमिका और अधिकारों को दरकिनार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर अब राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है।