उदयपुर, नारायण सेवा संस्थान में दिव्यांगजन के साझे में चल रहे त्रिदिवसीय कार्यक्रम 'अपनों से अपनी बात' के अन्तिम दिन शनिवार को अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि समस्याएं अनायास आती हैं। जो होनी है, वह होकर रहती है। इससे यदि हम पस्त हो जाएंगे तो जीवन भार बन जाएगा। हमें खुश रहते हुए हालातों का सामना करना होगा। न अतीत के बुरे दिनों को याद करना है और न वर्तमान के हालातों पर आंसू बहाने हैं। जीवन का हर क्षण नया है, अपने कर्तव्य से विमुख न हो और जीवन का पूरा आनंद ले। सभी रोगों की सिर्फ एक अचूक दवा है, खुश रहना।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति कभी-कभी स्वयं दुःख मोल ले लेता है। क्षणिक सुख या छोटे स्वार्थ के लिए वह दीर्घकालिक सुख और संतोष की अनदेखी करता है। लोगों की बातों से दुखी हो जाता है, खाली बैठकर नकारात्मक विचारों को अपने मनोमस्तिष्क में डेरा जमाने का मौका देता है। हम सत्संग, सत्साहित्य और सत्कर्मों में अपना समय दें। भूत और भविष्य में जीवन नहीं है, वर्तमान को बेहतर बनाकर परमानंद को प्राप्त करें।
उन्होंने कार्यक्रम में कौशल विकास के लिए जीवन प्रबंधन, अध्ययन, व्यवस्थित दिनचर्या को अपनाते हुए चिंता और तनाव से दूर रहने को कहा।
कार्यक्रम में दिव्यांगजनों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कुछ निजी समस्याएं रखी। जिनका समाधान भी परस्पर विचारों से किया गया।