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उदयपुर के समग्र विकास के लिए निगम क्षेत्र विस्तार की मांग की के के गुप्ता ने

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29 Nov 24
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उदयपुर के समग्र विकास के लिए निगम क्षेत्र विस्तार की मांग की के के गुप्ता ने

 

उदयपुर। देश दुनिया में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर के पर्यटन और सर्वांगीण विकास के लिए उदयपुर शहर से लगी ग्राम पंचायतों  और बस्तियों को उदयपुर नगर निगम में शामिल कर उनके विकास की सम्पूर्ण जिम्मेदारी निगम को ही दी जानी चाहिये । 

राजस्थान सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) प्रदेश समन्वयक के के गुप्ता ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिख  यह माँग रखी है।साथ ही उनसे आग्रह किया है कि देशी विदेशी पर्यटकों की भारी आवाजाही को देखते हुए उदयपुर शहर की स्वच्छता पर सबसे अधिक ध्यान दिये जाने के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से सम्बन्धित संस्थाओं से सख्त कार्यवाही कराने का निर्देश दिया जाना चाहिये।

गुप्ता ने बताया कि वर्ष पर्यन्त विशेष कर पर्यटन सीजन में देश दुनिया से प्रतिदिन हज़ारों पर्यटक ऐतिहासिक नगरी उदयपुर में भ्रमण के लिए आते है लेकिन नगर और आसपास की बस्तियों की सड़कों पर फैली गन्दगी को देखकर निराश और मायूस होते है तथा इससे न केवल नगर के पर्यटन पर प्रतिकूल असर पड़ता है वरन् प्रदेश और देश की छवि भी धूमिल होती हैं। 

उन्होंने बताया कि उदयपुर नगर की आबादी निरन्तर बढ़ती जा रही लेकिन नगर निगम के क्षेत्राधिकार में अभी भी नगर के आसपास के क्षेत्र और बस्तियाँ जिसमें भुवाणा के आंशिक हिस्सों के अलावा बड़गांव, तितरडी, बेदला, बेदला खुर्द, शोभागपुरा, मनवा खेड़ा, सवीना खेड़ा, सीसारमा, कानपुर, देबारी, रेबारियों का गुड़ा, कलड़वास, बेडवास, बलीचा, सुखेर, धोली मगरी, रूप नगर, एकलिंगपुरा, बुझडा, रकमपुरा, सापेटिया, देवली, हवाला कला, हवाला खुर्द, जोगी तालाब, सेठ जी की कुंडल आदि अभी भी नगर निगम में शामिल नहीं है जिसके कारण नगर निगम इन इलाक़ों में विकास के कार्य नहीं करवा पा रही है,जबकि निगम क्षेत्र के आसपास की बस्तियों में उदयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा विकास शुल्क लेकर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य करवाये गये है तथा बड़ी बड़ी कौलोनियाँ काटने से विकास प्राधिकरण,उदयपुर के पास भारी राशि जमा हुई है, इसके बावजूद इन कालोनियाँ के नगर निगम को हस्तांतरित नहीं होने से इन बस्तियों में रहने वाले निवासियों को मूलभूत नागरिक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है ।इस कारण यहाँ के बाशिंदों द्वारा भी समय-समय पर ज्ञापन प्रेषित कर विकास की मांग रखी गई हैं।
गुप्ता ने बताया कि दुर्भाग्य से उदयपुर की पेरीफेरी पर बसी हुई यह बस्तियां गंदगी का अड्डा भी बनी हुई है। यहाँ की सड़के टूटी फूटी हैं तथा इन पर अँधेरा छाया रहता है। यहाँ कचरा उठाने के नाम से खानापूर्ति हो रही है, चारों  तरफ प्लास्टिक फैल रहा है, खाली प्लोटस में गंदगी और जीव जंतु होने से बीमारियाँ फैल रही है। सड़कों पर आवारा पशु घूम रहे है तथा शहर के आसपास के क्षेत्रों के तालाब, कुएँ एवं बावड़ियाँ आदि भी गंदगी से अटी पड़ी है । उनकी साफ सफाई एवं सुदृढीकरण का कार्य भी नहीं हो रहा है।अखबारों में प्रकाशित बेहाल नगर और गंदगी की खबरों को देखकर आमजन एवं पर्यटकों के समक्ष सरकार एवं जन प्रतिनिधियों की छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा  है।

गुप्ता ने मुख्यमन्त्री शर्मा को लिखे पत्र में माँग रखी है कि जो कालोनियाँ उदयपुर शहर से लगी हुई है तथा उदयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा उनसे राशि प्राप्त कर अपने जमा की है उस राशि को उदयपुर नगर निगम को हस्तान्तरण की जाये तथा उन इलाक़ों में खाली पड़ी भूमि को भी निगम को हस्तान्तरण किया जाना चाहिये ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री के विकसित भारत विकसित राजस्थान की भावना को धरातल पर उतारा जा सके तथा इन बस्तियों में रहने वाले निवासियों को निगम द्वारा स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, शुद्ध पर्यावरण एवं सड़क आदि आवश्यक सुविधाएँ  स्थाई रूप से उपलब्ध करवायी जा सके ताकि यहां के बाशिंदों को सुकून भरा जीवन मिल सके तथा देश विदेश से आने वाले पर्यटक भी जग प्रसिद्ध उदयपुर में और भी बेहतर एक स्वच्छ और सुन्दर शहर का दीदार कर सकें ।
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