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मध्य प्रदेश में तीसरे दल की आवश्यकता और अपना दल (एस) की भूमिका - अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

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12 Jul 24
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मध्य प्रदेश में तीसरे दल की आवश्यकता और अपना दल (एस) की भूमिका - अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)

भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण राज्य मध्य प्रदेश, अधिकतर हिंदी भाषी राज्यों की तरह ही केवल दो प्रमुख दलों - भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच विभाजित रहा है। हालाँकि, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, चुनाव दर चुनाव राज्य में कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती जा रही है। कांग्रेस के पास प्रभावी नेतृत्व की कमी है, जो पार्टी को मजबूती से आगे बढ़ाने में असक्षम है। ऐसे समय में, मध्य प्रदेश के अंदर अब एक मजबूत तीसरे दल की आवश्यकता नजर आने लगी है, या यूं कहें कि ऐसे तीसरे दल की कमी महसूस होने लगी है जो निष्पक्षता से दलित, शोषित, वंचित और पिछड़े वर्ग की आवाज़ उठा सके। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो अपना दल (एस) की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जिस प्रकार अपने अब तक के राजनीतिक सफर में पार्टी की मुखिया और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) के मूलभूत मुद्दों को सड़क से संसद तक उठाने का काम किया है, उसने उनकी अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच बनी तेज तर्रार छवि को और मजबूत कर दिया है।
कांग्रेस पार्टी, जिसने एक लम्बे समय तक मध्य प्रदेश में शासन किया, अब अपनी पकड़ खोती जा रही है। कमलनाथ हों या दिग्विजय सिंह, सतह के निचली रेखा पर खड़े नजर आते हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर नेतृत्व की कमी और आपसी संघर्ष के कारण, कांग्रेस अब प्रभावी रूप से जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही है। साफ़ शब्दों में कहें तो एमपी कांग्रेस के पास एक स्पष्ट और मजबूत नेता की कमी साफ़ झलकती है, इस वजह से, जनता अब वैकल्पिक राजनीतिक शक्तियों की ओर देख रही है। चूंकि सिर्फ सत्तारूढ़ दल के समर्थन में सौ फीसदी जनता नहीं हो सकती इसलिए भी मध्य प्रदेश में तीसरे दल की आवश्यकता है, यह जनता को एक वैकल्पिक विकल्प प्रदान करता है और उनके मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से उठाने का अवसर देता है, खासकर तब जब देश में आरक्षण, संविधान और लोकतान्त्रिक व्यवस्था की चर्चा जोरों पर चल रही हो। 
अपना दल (एस), जो निष्पक्षता से दलित और पिछड़े वर्ग की आवाज़ उठाता रहा है, और इसी की दम पर अनुप्रिया पटेल रिकॉर्ड जीत दर्ज करने में भी कामयाब रही हैं, मध्य प्रदेश में तीसरे दल के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने कार्यकाल के दौरान जो उदाहरण पेश किया है, वह इस बात का प्रमाण है कि पार्टी  दलित और पिछड़े वर्ग के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी की नीतियां और कार्यक्रम, विशेष रूप से दलित और पिछड़े वर्ग के लिए, एक नए राजनीतिक विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। पार्टी न केवल इन वर्गों के अधिकारों की रक्षा की अगुवाई कर रही है, बल्कि उन्हें सशक्त बनाने के लिए भी काम कर रही है। 
ऐसे में यदि मध्य प्रदेश में तीसरे दल की आवश्यकता और जनता के एक वैकल्पिक विकल्प को ध्यान में रखें तो अपना दल (एस) इस रिक्तस्थान को भरने के लिए एक उपयुक्त दल बना हुआ है, जो अपने समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ, मध्य प्रदेश में एक मजबूत और प्रभावी तीसरे दल के रूप में उभर सकता है।


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