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स्वच्छता, पवित्रता   व प्रार्थना   युक्त घाट   झीलों, नदियों   की पर्यावरणीय सुरक्षा व दिव्य जल गुणवत्ता के लिए जरूरी : डॉ  मेहता 

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07 Apr 24
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स्वच्छता, पवित्रता   व प्रार्थना   युक्त घाट   झीलों, नदियों   की पर्यावरणीय सुरक्षा व दिव्य जल गुणवत्ता के लिए जरूरी : डॉ  मेहता 

 

उदयपुर, झील प्रेमियों का रविवार संवाद झीलों, तालाबों व नदियों  पर स्थित घाटों की बदहाल स्थिति पर केंद्रित रहा।

संवाद में विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य, पर्यावरणविद  डॉ अनिल मेहता ने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक , आध्यात्मिक व पर्यावरणीय गतिविधियों के केंद्र रहे  नदी ,झील घाट  आज   गंदगी , नशेबाजी, अश्लीलता, शोर शराबे  व अतिक्रमण से ग्रसित हैं।  उन्होंने कहा कि जल स्रोत के किनारे होने वाली हर गलत व प्रतिकूल गतिविधि  जल की आंतरिक आणविक संरचना में नकारात्मक बदलाव लाती है । इससे  जल की गुणवत्ता व तासीर खराब हो जाती है।  मेहता ने   गंदगी मुक्त,नशा मुक्त, अश्लीलता मुक्त व अतिक्रमण मुक्त घाट बनाने का आग्रह करते हुए  कहा कि   स्वच्छता, पवित्रता   व प्रार्थना   युक्त घाट   झीलों , तालाबों, नदियों की  पर्यावरणीय सुरक्षा  व उत्तम , दिव्य जल गुणवत्ता के लिए जरूरी है।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि विविध सामाजिक,  सांस्कृतिक अनुष्ठानों के केंद्र रहे घाटों का उपयोग  अब  केवल आर्थिक लाभ तक केंद्रित हो गया हैं। घाटों  पर व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने से   तेज लाइटों  व शोर से होने वाला प्रदूषण बढ़ा है।  इससे पक्षियों व जलीय जीवों के जीवन पर घातक  दुष्प्रभाव हो रहा है। 

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने  कि घाटों के मूल   स्वरूप  व उद्देश्य के साथ छेड़छाड़  उचित नहीं है।  घाटों पर होटल,  रेस्टोरेंट इत्यादि से  जलस्रोतों के   किनारों  व भीतर कचरा व गंदगी बढ़ रहे हैं। इससे जलीय पर्यावरण दूषित हो रहा है जो  मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है।

युवा पर्यावरण प्रेमी  कुशल रावल ने कहा कि पूरे देश में अधिकांश  घाटों के साथ धर्म व आध्यात्म के स्थल  इसीलिए बनाए गए  ताकि   जल स्रोत की पवित्रता व  सम्मान  को सुनिश्चित रखा जा सके।   लेकिन आज पर्यटन विकास के नाम पर इन घाटों को  अपिवत्र  किया जा रहा है। 

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने  सामाजिकता को पुष्ट करने वाले घाट  केवल भौतिक संरचनाएं नही है। समाज व सरकार को उनका संरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए।

सीसारमा नदी में पड़ी गंदगी पंहुच रही पिछोला में :
संवाद पश्चात झील प्रेमियों ने नाई गांव तक सीसारमा नदी के जल प्रवाह को देखा तथा अफसोस जताया   कि   विसर्जित गंदगी,  कचरा,  मृत जानवर अवशेष  बह कर  पेयजल झील पिछोला में पंहुच रहे हैं।


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