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MPUAT : दर्द, पेन्शनर्स को नियमित पेन्शन का भुगतान नहीं हो पा रहा

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06 Apr 24
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 MPUAT : दर्द, पेन्शनर्स को नियमित पेन्शन का भुगतान नहीं हो पा रहा

कृषि के क्षेत्र में विकास की सम्भावनाओं को देखते हुए एवं कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये अनुसन्धान, प्रसार शिक्षा एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्यों के देखते हुए राज्य में पांच कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कर्मचारी एवं वैज्ञानिक अपने अपने क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करते हुए समुचित राजस्थान के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि वर्ष 1990-91 में राज्य सरकार के आदेश की अनुपालना में हम सभी लोगों ने पेन्शन के विकल्प को चुना और जिन्होंने नहीं चुना उनका भी राज्य सरकार के निर्देशानुसार पेन्शन के विकल्प को ही माना गया। इस प्रकार उसके बाद सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को विश्वविद्यालय में स्थापित पेन्शन फण्ड एवं राज्य सरकार द्वारा आवन्टित कोष से नियमित पेन्शन का भुगतान हो रहा था, किन्तु पिछले दस वर्षों से राज्य सरकार द्वारा आवन्टित कोष में कमी, वेतनमानों में वृद्धि एवं विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिको एवं कर्मचारियों की संख्या में अत्यधिक कमी होने से एकत्रित होने वाले फण्ड में कमी के कारण पेन्शनर्स को नियमित पेन्शन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। यहाँ पर हम यह भी कहना चाहेंगे कि विश्वविद्यालय एक राज्य वित्तपोषी संस्था है जिसके माध्यम से शिक्षण, अनुसन्धान एवं प्रसार शिक्षा का कार्य होता है एवं कृषि फार्मों का उपयोग अनुसन्धान एवं प्रसार शिक्षा के कार्यों के लिए होता है। विद्यार्थियों की संख्या भी बहुत ही कम है जिस वजह से विश्वविद्यालय में विभिन्न श्रोतों से होने वाली आय बहुत ही कम है। इस आय से विश्वविद्यालय की अन्य गतिविधियां संचालित होती है अतः पेन्शन के भुगतान के लिए राशि का प्रबन्ध विश्वविद्यालय के स्तर पर नहीं हो पा रहा है।
इस विषय को सरकार के संज्ञान में लाने पर सरकार ने विश्वविद्यालय की जमीनों को जनहित को ध्यान में रखते हुए नगर
विकास प्रन्यास के माध्यम से बेच कर एकत्रित होने वाली राशि से पेन्शन के भुगतान की अस्थाई व्यवस्था करवायी। वर्तमान में राज्य सरकार के निर्देशानुसार नगर विकास प्रन्यास से मात्र पांच करोड़ रूपये की राशि प्रति माह विश्वविद्यालय को पेन्शन भुगतान हेतु दी जा रही है। हाल ही में पिछली सरकार द्वारा पेन्शन की पुरानी स्कीम को लागू करने से विश्वविद्यालय पर अतिरिक्त भार और आ गया है। इस व्यवस्था से पेन्शन भुगतान तीन से चार साल तक होंने की सम्भावना थी किन्तु नये भार के कारण यह व्यवस्था भी आने वाले दो साल तक ही चल पायेगी उसके बाद पुनः पेन्शन भुगतान में समस्या आयेगी क्योंकि ना तो विश्वविद्यालय के पास इतना कोष एकत्रित हो पायेगा और ना ही राज्य सरकार की तरफ से कोई अतिरिक्त राशि प्रदान की जा रही है। अतः ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय में पेन्शनर्स को पेन्शन का नियमित भुगतान नहीं हो पायेगा। देश में सभी कृषि विश्वविद्यालयों में पेन्शन का नियमित भुगतान सरकार द्वारा ही किया जा रहा है। पेन्शन पाना हर कर्मचारी का अधिकार है एवं हर कर्मचारी सेवानिवृति के बाद आत्मसम्मान के साथ रहना चाहता है। इतने वर्षों तक सेवा देने के बाद यदि सरकार या विश्वविद्यालय कर्मचारियों को नियमित पेन्शन का भुगतान नहीं कर पाता है तो यह उनके आत्मसम्मान पर चोट है। यहां पर यह उल्लेखित है कि राज्य सरकार एवं न्यायालय किसी ने भी पेन्शन नहीं देने की बात नहीं की है अपितु यह कहते हैं कि पेन्शन मिलना हर कर्मचारी का अधिकार है। चूंकि पेन्शन देने का दायित्व विश्वविद्यालय का है अतः पिछले दस वर्षों में तत्कालिन कुलपति महोदयों ने किसी भी प्रकार व्यवस्था करके पेन्शन एवं परिलाभों का भुगतान किया किन्तु वर्तमान में पेन्शन का भुगतान जमीन के पेटे नगर विकास प्रन्यास से मिलने वाली राशि से हो रहा है इसमें विश्वविद्यालय का कोई भी योगदान नहीं है जबकि सरकार ने समय समय पर विश्वविद्यालय को चेताया है कि वह अपने संसाधनों से आमदनी बढ़ाकर एवं अपने खर्चों में कटौती कर पेन्शन फण्ड को सुदृढ करे जिससे पेन्शनर्स को नियमित पेन्शन का भुगतान हो सके किन्तु वर्तमान में विश्वविद्यालय ने इस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यागिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर पेन्शनर्स वेलफेयर सोसायटी द्वारा समय समय पर विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ हुई वार्ताओं एवं अनेकों बार लिखे पत्रों के माध्यम से पेन्शनर्स की समस्याओं के निराकरण के लिये विश्वविद्यालय से दो वर्षों से लगातार प्रार्थना ही जा रही है लेकिन अनेक आश्वासनों के बाद भी अभी तक एमपीयूएटी प्रशासन की तरफ सेउनका निराकरण नहीं किया गया है और ना ही उचित निर्देश जारी हुए हैं जिस कारण से सभी पेन्शनर्स साथी व्यथित है और उनमें रोष व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में 1379 पेन्शनर्स हैं जिनका प्रतिनिधित्व यह सोसायटी करती है। पेन्शनर्स वेलफेयर सोसायटी की अनेको समस्याओं के सम्बन्ध में से निम्न बिन्दूओं पर अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई निर्देश जारी नहीं हुए है:-
1. अभी हाल ही में राजस्थान सरकार द्वारा पेन्शनर्स के लिए जारी दोनो डी.ए. 46% एव 50% के आदेश विश्वविद्यालय ने नहीं दिये हैं जबकि सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों में डी.ए. जारी करने के आदेश पारित किये थे। विश्वविद्यालय ने इसे राजस्थान सरकार की स्वीकृति हेतु भेज दिया जो कि उचित नहीं है। राज्य सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय पेन्शन भुगतान में समर्थ है। अतः डी.ए. के आदेश स्वतः ही जारी कर देने चाहिये थे। इसी आधार पर कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर, कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर और अन्य विश्वविद्यालयों ने भी दोनो डी.ए. 46% एव 50% के आदेश जारी कर दिये हैं। उल्लेखनीय है कि एमपीयूएटी पेन्शनर्स के दो डी.ए. 4% जुलाई 2023 से तथा 8% जनवरी 2024 से देना बाकी है। इस सम्बन्ध में अनेक पत्रों के बाद 28 मार्च 2024 को विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के बाहर पेन्शनर साथियों ने धरना भी दिया। उस समय माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने आश्वासन दिया कि 30 मार्च तक डी.ए. दिलवा दूंगा, उसके बाद धरना समाप्त कर दिया गया था परन्तु अभी तक विश्वविद्यालय ने डी. ए. देने की की कोई कवायद नहीं की है।
2. सभी पेन्शनर्स का 7वें वेतनमान के एरियर का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। इस सन्दर्भ में पूर्व में हुई वार्तानुसार नगर विकास न्यास से प्राप्त एक मुस्त 15 करोड़ की राशि, विश्वविद्यालय स्तर पर हुई बचत और पिछले वर्ष के 9 महिने के पेन्शन एरियर के भुगतान हेतु राज्य सरकार से प्राप्त 50 करोड़ रूपये की राशि से बची राशि के माध्यम से सभी पेन्शनर्स का 7वें वेतनमान का एरिया का भुगतान करवाने का विचार रक्खा गया थ किन्तु अभी तक यह बकाया भुगतान नहीं किया गया है।
3. चिकित्सा बिलों का भुगतान, विश्वविद्यालय से निवेदन किया गया था कि जिन पेन्शनर्स ने RGHS में पंजिकरण नही करवाया है या करवाने की स्थिति में नहीं हैं, उनके प्रति वर्ष चिकित्सा क्षेत्र में होने वाले खर्चों का भुगतान विश्वविद्यालय स्तर पर करवाने के निर्देश सक्षम अधिकारी को प्रदान करावें। यहां पर आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे हैं कि विश्वविद्यालय में जो मेडिकल फण्ड है, उसमें पेन्शनर्स के द्वारा प्रदान की गई राशि भी है इस राशि के ब्याज से बड़ी ही आसानी से मेडिकल बिलों का भुगतान हो सकता है। यदि आवश्यकता हो तो राज्य सरकार से स्वीकृति ली जा सकती है। इस पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
4. जिन पेन्शनर्स की आयु 75 वर्ष पूर्ण हो गई है उनका मूल पेन्शन पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त पेन्शन मिले (राज्य सरकार के आदेशानुसार) इसके शीघ्र ही आदेश जारी कराने का निर्देश करवाये। अभी तक आदेश जारी नहीं किये गये अपितु राज्य सरकार को पत्र लिख कर स्वीकृति मांगी जा रही है। जिन पेन्शनर्स को 80 साल पूरे हो गये हैं या होने वाले है उनका नाम स्वतः ही कम्प्यूटर में आ जाय, इसके लिए सोफ्टवेयर में जो परिवर्तन करने है, उनको अभी तक नहीं किया गया है जिससे हर महिने पेन्शन भुगतान में समस्या आ रही है।
5. पेन्शनर्स वेलफेयर सोसायटी को विश्वविद्यालय से मान्यता मिले इस हेतु पूर्व में भी अनेको बार प्रार्थना की गई किन्तु अभी तक सोसायटी को मान्यता नहीं दी गई।
6. विश्वविद्यालय में सभी पेन्शनर्स के रिवाइज पी.पी.ओ. अभी तक जारी नहीं हुए हैं। इस कार्य को भी शीघ्र सम्पादित करवाने का आग्रह अनेक बार किय गया जिस पर कार्यवाही नहीं हो रही है।
7. सोसायटी ने समय समय पर प्रशासन को यह बताया कि विश्वविद्यालय की बचत राशि एवं यूपीएफ फण्ड का उपयोग पेन्शन भुगतान हेतु किया जाये, जिससे नगर विकास प्रन्यास से प्राप्त भूमि विकय पेटे की राशि (5 करोड़ रूपये प्रति माह) से प्रति माह पेन्शन का भुगतान करने हेतु अतिरिक्त धन राशि की व्यवस्था हो सके किन्तु विश्वविद्यालय ने ऐसा नहीं किया जिससे पेन्शन भुगतान में समस्या उत्पन्न हो रही है।
8. विश्वविद्यालय में अभी भी ऐसे कर्मचारी शेष हैं जिनकी पति-पत्नि दोनों की मत्यु हो गई है, उनकी बकाया देय राशि का भुगतान उनके द्वारा नामित व्यक्ति को अभी तक नहीं हुआ है। 9. अक्टूबर 2022 से अभी तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एवं कम्युटेशन की राशि का भुगतान नहीं हुआ है।

 


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