GMCH STORIES

नवरात्रि’ को ‘नवदिन’ क्यों नहीं कहा जाता?

( Read 3213 Times)

03 Oct 22
Share |
Print This Page
नवरात्रि’ को ‘नवदिन’ क्यों नहीं कहा जाता?

नई दिल्ली ।शक्ति और भक्ति के पर्व नवरात्रि के ‘नवरात्र’ शब्द में  नव विशेष रात्रियों का बोध होता है, क्योंकिसम्पूर्ण विश्व में इस समय शक्ति के नवरूपों की उपासना हर्षोल्लास के साथ की जाती है। रात्रि शब्द सिद्धिका बोधक है। भारतीय ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है, इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्रि आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेषरहस्य न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कहकर दिन ही कहा जाता, लेकिन नवरात्र के दिन, नवदिन, शिवरात्रिके शिवदिन नहीं कहे जाते। 

राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले के निंबाहेड़ा में स्थित  श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय में ज्योतिषविभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने नवरात्री और अन्य त्योहारों में रात के महत्व का बहुत रोचक तरीके सेविश्लेषण किया है।

भारतीय मनीषियों ने वैदिक काल से ही वर्ष में दो  बार नवरात्रों का विधान बनाया है। वैज्ञानिक दृष्टि से सभीजानते हैं कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक वर्ष  की चार  संधियां हैं। उनमें मार्च व सितंबर माह मेंपड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो  मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। लगभग यही समय 21 मार्च और 23 सितम्बरहोता है, जब दिन और रात्रि का समय एक समान होता है। इस समय रोगाणुओं के आक्रमण की सर्वाधिकआशंका होती है। ऋतु संधियों में शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, खान पानपर नियंत्रण रखकर शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए कीजाने वाली प्रक्रिया का नाम ही नवरात्र है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदापहली तिथि से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष कीप्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक नवरात्र का समय होता है, परंतु सिद्धि औरसाधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। 

इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। 

कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रात पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर आंतरिक त्राटक या बीज मंत्रों के जाप द्वाराविशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रों में शक्ति की 51 पीठों पर भक्तों का समुदाय बड़ेउत्साह से शक्ति की उपासना के लिए एकत्रित होता है, जो उपासक इन शक्तिपीठों पर नहीं पहुंच पाते, वे अपनेनिवास स्थल पर ही शक्ति का आह्वान करते हैं। मनीषियों ने नवरात्र के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया है। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध स्वतःसमाप्त हो जाते हैं। आधुनिक विज्ञान भी इस बात से सहमत है। हमारे ऋषि-मुनि आज से कितने ही हजारों वर्षपूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे। दिन में आवाज दी जाए तो वह दूर तक नहीं जाएगीकिंतु रात्रि को आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एकवैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियों तरंगों को आगे बढ़ने से रोकदेती हैं। रेडियों इस बात की सत्यता का उदाहरण है। कम शक्ति के रेडियों स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थातसुनना मुश्किल होता है, जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियों स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है।

वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि सूर्य की किरणें दिन के समय रेडियों तरंगों को जिस प्रकार रोकती हैं, उसी प्रकारमंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय रुकावट पड़ती है, इसीलिए ऋषि-मुनियों ने रात्रि का महत्व दिनकी अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर-दूर तक वातावरणकीटाणुओं से रहित हो जाता है। यह रात्रि का वैज्ञानिक रहस्य है, जो इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुएरात्रियों में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपने शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं, उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि, उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि केअनुसार करने पर अवश्य होती है। अमावस्या की रात से अष्टमी तक या प्रतिपदा से नवमी की दोपहर तक व्रत-नियम चलने से नौ रात यानी नवरात्र नाम सार्थक है। यहां रात गिनते हैं इसलिए नवरात्र यानी नौ रातों का समूहकहा जाता है। रूपक द्वारा हमारे शरीर को 9 मुख्य द्वारों वाला 2 आंखे, 2 कान, 2 नाक के स्वर, 1 मुख, 1 लिंगया योनि और 1 गुदा बताया गया है। इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , ,
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like