पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री एवं विधायक किरण माहेश्वरी (Kiran Maheshwari)ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से राज्य सरकार का ध्यान जैव इंधन मिशन (Bio fuel mission) के कार्य के निष्पादन की और आर्कषित किया । उत्तर से ज्ञात हुआ कि मिशन (mission) की न तो समय पर बैठके होती है, नहीं लिए गए निर्णयों की पालना की जाती है।
किरण ने बताया कि वर्ष 2005 में स्थापित इस मिशन की 2015 से 2020 तक मात्र 2 बैठके हुई, जबकि नियम वर्ष में न्युनतम 2 बैठके करने का है। अखाद्य तेलों एवं औषधीय पौधों का राजस्थान (Rajasthan) में न तो विस्तार हुआ है, नहीं उत्पादन (production) बढ़ा है। उदयपुर में जैव इंधन के उत्पादन, अनुसंधान एवं प्रसंस्करण ईकाई के लिए उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना का निर्णय भी केवल कागजों में रह गया है।
विभाग ने बताया कि वर्तमान एवं विगत वर्ष में उदयपुर (Udaipur) संभाग में रतनजोत के 11.25 लाख पौधे रोपित किए गए है। किन्तु यह नहीं बताया कि संभाग अखाद्य तेल बीजों का उत्पादन कितना है एवं अखाद्य तेलों के उत्पादन की क्या व्यवस्था है। जैव इंधन मिशन सरकारी उपेक्षा एवं लालफीताशाही का शिकार होकर रह गया है। ग्रामीण एवं वनवासी अंचलों में आय बढ़ाने, पर्यावरण एवं आयात पर निर्भरता कम करने की यह योजना राजस्थान में दम तोड़ रही है।
आर्थिक पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आरक्षण
किरण नें स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को अवगत करवाया कि राजस्थान में आर्थिक पिछड़ा वर्ग एवं विशेष पिछड़ा वर्ग दोनों श्रेणियों में आरक्षण फरवरी 2019 में एक साथ लागू हुआ था। आयुर्वेद निदेशालय द्वारा आयुर्वेद नर्स कंपाउंडर की भर्ती में आर्थिक पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है जबकि विशेष पिछड़ा वर्ग को यह लाभ देने के निदेशालय ने निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार ने प्रथम श्रेणी शिक्षकों की भर्ती में एवं फार्मासिस्ट की भर्ती में और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती में भी आर्थिक पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को मान्य किया है। जबकि यह भर्ती प्रक्रिया 1 वर्ष पुरानी है।
किरण नें अनुरोध किया कि आयुर्वेद नर्स कंपाउंडर की भर्ती में आर्थिक पिछड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया जाए।