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GMCH: ह्रदय की सफल बाईपास सर्जरी करवाकर दी उम्र को मात 88 वर्षीय वृद्ध ने

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15 Dec 21
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 GMCH: ह्रदय की सफल बाईपास सर्जरी करवाकर दी उम्र को मात 88 वर्षीय वृद्ध ने

आमतौर पर ये देखा जाता है कि यदि किसी को सीने में दर्द, ह्रदय की कोई भी समस्या या हार्ट अटैक आता है तो रोगी और उसका परिवार घबरा जाता है, अक्सर लोगों में बाईपास सर्जरी को लेकर भय रहता है| जब हम हाइर टर्शरी सेंटर्स में जाकर देखते हैं जहाँ पर बाईपास सर्जरी, वाल्व सर्जरी, बच्चों के ऑपरेशन इत्यादि रोजमर्रा में हो रहे होते हैं तो पता चलता है कि इस प्रकार के ऑपरेशनों में रिस्क बहुत कम है| आम लोगों में ये धारणा रहती है कि हार्ट का बाईपास ऑपरेशन ओपन हार्ट है, मतलब इसमें दिल को खोलना पड़ता है जबकि ऐसा बिलकुल नही है| यह क्लोज्ड हार्ट ऑपरेशन है| गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इस तरह के जटिल ऑपरेशनों को कार्डियकसाइंसेज़ के अनुभवी कार्डियक सर्जन, कार्डियक एनेस्थेसिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, पर्फ्युशनिस्ट ,आईसीयू, ओटी स्टाफ पिछले 10 वर्षों से लगातार कर रहे हैं| कार्डियक टीम के अनवरत प्रयासों से 88 वर्षीय वृद्ध का सफल इलाज कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया|

कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी ने बताया कि यदि कोई भी वृद्ध ह्रदय रोगी जो चलता फिरता हो उसमें अच्छे से जीने की चाहत हो तो वह ज़रुर ऑपरेशन करवा सकता है और उसके लिए भी बाईपास सर्जरी उतनी ही आसान है जितनी किसी युवा के लिए| जब कोई भी ह्रदय रोगी नाड़ियों में रुकावट के साथ परेशानी से जी रहा है तो बेहतर है कि उचित उपचार या आवश्यकता होने पर ऑपरेशन करवाकर अच्छे से जीये जिससे रोगी को जीवन की गुणवत्ता और उम्र दोनों बढ़ सकते हैं| बाईपास ऑपरेशन को धड़कते हुए दिल (बीटिंग हार्ट सर्जरी) पर छोटा सा चीरा लगाकर किया जाता है, बिना दिल को खोले बाईपास सर्जरी को अंजाम दिया जाता है, इसमें रोगी को दर्द भी कम होता है और स्वास्थ्य लाभ काफी जल्दी होती है| इस तरह के ऑपरेशन में हार्ट लंग मशीन का उपयोग भी नही किया जाता, गीतांजली हॉस्पिटल की कार्डियक साइंसेज विभाग में ऐसा ही एक मसला 88 वर्षीय वृद्ध का देखने को मिला| यह वृद्ध रिटायर्ड सिविल इंजिनियर है| पिछले काफी समय से रोगी

को अपने नियमित कार्यों को करने में परेशानी आ रही थी| ऐसे में रोगी का दवाइयों द्वारा भी इलाज किया गया परन्तु कोई सफलता नही मिली| रोगी की एंजियोग्राफी की गयी जिसमें रोगी के दिल की बायीं मुख्य नाड़ी में 90 % रुकावट थी, बाकी की 3 नाड़ियों में भी काफी रुकावट थी और दाहिनी आर्टरी में 100% रुकावट थी| रोगी की धड़कते दिल परबाईपास सर्जरी की गयी, जिसमे 4 बाईपास की नाड़ियाँ लगाई गयी| रोगी को 5 वें दिन हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी| रोगी अभी स्वस्थ है खाने, चलने में समर्थ है|

रोगी के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती थी समाज का भय ना कि रोगी का ऑपरेशन ,रोगी और उसका परिवार ऑपरेशन करवाना चाहते थे, रोगी के परिवार के सदस्य अमेरिका में कार्डियक सर्जन हैं उनसे भी रोगी के परिवार ने सलाह ली और रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया| समाज की इस तरह की सोच को आज के सन्दर्भ में बदलना ज़रूरी है|

डॉ गाँधी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब ह्रदय की बीमारी और इसके इलाज में किसी तरह का भय नही है आज नयी तकनीकों के आने से ऑपरेशन का रिस्क बहुत कम हो गया है| गीतांजली हॉस्पिटल में रोज़ाना 2 - 3 बाईपास ऑपरेशन किये जा रहे हैं| अनुभवी टीम और मल्टीडीसीप्लिनरी अप्प्रोच के साथ जटिल ऑपरेशन किये जा रहे हैं, जिससे रिस्क और भी कम हो जाता है| गीतांजली कार्डियक सेंटर में लेटेस्ट तकनीक से युक्त एक्मो भी उपलब्ध है|


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